एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, पटना हाईकोर्ट ने सूडान की दो महिलाओं को बड़ी राहत प्रदान की है। कोर्ट ने न केवल उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है, बल्कि निचली अदालत में चल रहे आपराधिक मामले को भी खारिज कर दिया है। यह फैसला महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, जो लंबे समय से कानूनी जाल में फंसी हुई थीं।
मामले के अनुसार, लगभग एक साल पहले नेपाल जाने के दौरान इन महिलाओं को वीरपुर पुलिस ने फॉरेन एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि महिलाओं के पास वैध दस्तावेज नहीं थे। इसके बाद, पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और मामला निचली अदालत में पहुंच गया।
हालांकि, महिलाओं का दावा था कि उनके पास वैध पासपोर्ट और वीसा था और उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने अपनी रिहाई और मामले को खारिज करने की मांग की।
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान, महिलाओं के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किलों के साथ अन्याय हुआ है और उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज थे। केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी कोर्ट को बताया कि महिलाओं के पास वैध पासपोर्ट और वीसा था।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को गंभीरता से सुना और पाया कि महिलाओं के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि महिलाओं का वीसा अब समाप्त हो चुका है, इसलिए उन्हें एक सप्ताह के भीतर सूडान दूतावास को सौंप दिया जाना चाहिए।
यह फैसला सूडानी महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्होंने लंबे समय तक कानूनी परेशानियों का सामना किया। यह मामला भी एक महत्वपूर्ण सवाल उठाता है कि ऐसे मामलों में पुलिस को कैसे आगे बढ़ना चाहिए और क्या वास्तव में आवश्यक दस्तावेजों की जांच के लिए इतनी सख्त कार्रवाई की जरूरत है