बिहार सरकार ने पेट्रोल पंपों को वैट रिटर्न दाखिल करने की झंझट से मुक्ति दिलाई है। उप मुख्यमंत्री सह वित्त और वाणिज्य-कर मंत्री सम्राट चौधरी ने वैट कानून में संशोधन कर पेट्रोलियम पदार्थों के कारोबारियों को यह राहत दी है।
क्यों मिली छूट?
दरअसल, बिहार में डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमान ईंधन (एटीएफ) पर वैट की देयता उन्हीं कंपनियों पर बनती है जो इन्हें बेचती हैं, यानी मुख्य रूप से तेल कंपनियों पर। इस वजह से पेट्रोल पंपों से वैट नहीं लिया जाता है। फिर भी, वैट अधिनियम के तहत उन्हें रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य था। बिहार पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन इस झंझट को दूर करने की मांग करता रहा है।
अब राज्य सरकार ने उनकी मांग स्वीकार कर ली है। गौरतलब है कि बिहार वैट अधिनियम के तहत कंपाउंडिंग करदाताओं को छोड़कर हर रजिस्टर्ड कारोबारी को तिमाही और सालाना आधार पर वैट रिटर्न दाखिल करना होता है।
जीएसटी अनुपालन में जल संसाधन विभाग अव्वल
बिहार सरकार का जल संसाधन विभाग वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नियमों को पूरी तरह से लागू करने वाला पहला विभाग बन गया है। साथ ही, यह विभाग शत-प्रतिशत टैक्स-डिफाल्ट-फ्री का लक्ष्य भी हासिल करने में सफल रहा है। विभागीय मंत्री विजय कुमार चौधरी और अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने इस उपलब्धि के लिए अधिकारियों को बधाई दी है। साथ ही भविष्य में भी जीएसटी वेब एप पोर्टल का सही तरीके से इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है।
बता दें कि विभाग की सभी शाखाओं, क्षेत्रीय कार्यालयों और संबंधित संस्थाओं एवं ठेकेदारों के लिए जीएसटी वेब एप पोर्टल उपलब्ध कराया गया है। मई महीने में इस पोर्टल का सक्रियता से इस्तेमाल करते हुए विभागीय लेन-देन में जीएसटी के सभी नियमों का शत-प्रतिशत अनुपालन किया गया। विभाग से जुड़े सभी ठेकेदारों ने अप्रैल महीने का टैक्स रिटर्न भी जमा करा दिया है। इस पहल से सरकारी खजाने में अतिरिक्त राजस्व आने की उम्मीद है।