जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर दो जनवरी से पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे थे। इसी बीच प्रतिबंधित क्षेत्र होने के कारण पुलिस ने उन्हें सोमवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, उन्हें गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद पटना सिविल कोर्ट ने जमानत दे दी। लेकिन सशर्त जमानत लेने से इनकार करने पर प्रशांत किशोर को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
इस पूरे मामले पर प्रशांत किशोर ने कहा कि पुलिस मुझे गांधी मैदान से AIIMS लेकर गई। वहां तक पुलिस का व्यवहार मेरे साथ एकदम ठीक था। सुबह 5 बजे से 11 बजे तक पुलिस मुझे एंबुलेंस में बैठाकर कर अलग-अलग जगहों पर घुमाती रही और किसी ने नहीं बताया कि मुझे कहां लेकर जा रहे हैं। 5 घंटे के बाद मुझे पुलिस फतुहा के समुदायिक केंद्र में लेकर गई। वहां पर डॉक्टरों से वे मेरा परीक्षण कराकर सर्टिफिकेट लेना चाहते थे। मैंने डॉक्टरों को बताया कि मैं इसके लिए इजाजत नहीं दे रहा हूं। मैं कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहा था।
प्रशांत किशोर ने किया ऐलान: न बेल लेंगे, न अनशन तोड़ेंगे
पुलिस ने कोशिश की वहां के डॉक्टर इनको सर्टिफिकेट दे दें लेकिन वहां के डॉक्टरों का मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने गैरकानूनी सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया। उसके बाद मुझे कोर्ट में लाया गया, कोर्ट से मुझे बेल मिली है लेकिन उस बेल में लिखा है कि मैं फिर से ऐसा नहीं करूंगा। मैंने बेल को अस्वीकार कर दिया है मैंने जेल जाना स्वीकार किया है। प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया है कि वे न बेल लेंगे और न ही अनशन तोड़ेंगे। यानि जेल में भी प्रशांत किशोर अपना अनशन जारी रखने का दावा कर रहे हैं। अपने समर्थकों से बातचीत के दौरान एक वीडियो में प्रशांत किशोर कहते हुए दिख रहे हैं कि अनशन तोड़ देंगे तो इन लोगों का (सरकार का) मन बढ़ जाएगा।