बिहार की राजनीति अब खुले मैदान में आ रही है। प्रशांत किशोर ने सीधे सीधे खुद को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की तुलना में बेहतर बताया है। पीके का हमला सीधे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर है। इस हमले में प्रशांत किशोर ने दोनों की कार्य क्षमता पर सवाल उठाने के साथ ही शख्सियत पर भी सवाल उठाया है।
“जहरीले दांत वाले हैं नीतीश, किसी को भी काट सकते हैं”
‘तेजस्वी को नहीं है कोई ज्ञान’
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के भगवानपुर प्रखंड में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को मूर्ख समझा जाता है, लेकिन क्या तेजस्वी यादव मुझसे अच्छा इंग्लिश, फ्रेंच बोल सकते हैं? इसके आगे पीके ने तेजस्वी यादव पर ऐसे बरसे जैसे कोई बल्लेबाज किसी गेंदबाज की धागा खोलकर धुनाई करता है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव हमसे अच्छा भोजपुरी बोलेंगे क्या? लेकिन तेजस्वी को ना इंग्लिश आती है और ना ही ठीक से भोजपुरी बोलनी आती है।
उन्होंने जीवन में कुछ पढ़ा नहीं है और किसी भी विषय का कोई ज्ञान नहीं है। जब जनता तेजस्वी से रोजगार के बारे में पूछती है तो वो कहते हैं कि भाजपा को रोको और यह बोलकर वह लोगों को मुर्ख बनाते हैं। आप कहते हैं कि शराब माफिया और बालू माफिया बहुत ज्यादा हो गए हैं तो तेजस्वी कहते हैं कि जातीय जनगणना करवा रहे हैं। ये काम करते नहीं है बस नए-नए मुद्दों पर अपनी बात रख कर बहानेबाजी करते रहते हैं।
‘RJD और क्राइम का रिश्ता बाघ और मांस जैसा’
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार में शराब माफिया और बालू माफिया कौन लोग हैं? ये सब जानते हैं ये सभी एक दल के लोग हैं जो बिहार में बालू माफिया का काम कर रहे हैं, क्या किसी को इसके बारे में मालूम नहीं है? इसके बाद तेजस्वी कहते हैं कि हमको अपराध और अपराधियों से कोई लगाव नहीं है। इस देश में राजद से ज्यादा अपराध करने वाले और अपराधी लोग देश की किसी पार्टी में नहीं है। राजद और क्राइम का रिश्ता वैसे ही है जैसे बाघ और मांस का। ऐसे में तो ऐसा ही लग रहा जैसे बाघ ये कह रहा हो कि मांस से मतलब नहीं है।
‘जातीय जनगणना के जरिए लोगों को बांटने की हो रही कोशिश’
प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना के सवाल पर बोला कि मैंने पहले ही दिन से कहा है कि किसी भी तरह की जनगणना या सर्वे से ऐसी कोई भी जानकारी जिससे सरकार के पास समाज के बारे में बेहतर जानकारियां आएं, उसको हो जाना चाहिए। जनगणना या सर्वे हो जाने मात्र से स्थिति में सुधार नहीं आएगा। दलितों की जनगणना लगातार होती आई है फिर भी दलित आज सबसे बदहाल स्थिति में हैं। बिहार में जनगणना होगी उनमें एक अच्छी बात ये है कि विभिन्न जातियों की स्थितियों की जानकारी मिलेगी।
बिहार आज देश में सबसे गरीब राज्य है, इसकी जनगणना तो पहले ही हो गई है तो इसमें क्यों सुधार नहीं हो रहा है। यदि जनगणना हो जाने से स्थिति सुधार जाती तो अब तक पूरे भारत में से गरीबी खत्म हो जाती। लेकिन बिहार में जातीय जनगणना के माध्यम से समाज को बांटने का प्रयास कर समाज में जातीय विद्वेष फैलाना, लोगों को लड़ाना और एक दूसरे को बांटने की कोशिश हो रही है।
PK के निशाने पर नीतीश
प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला करते हुए कहा कि जो जनगणना 2011 में हुई है उस आँकड़े को जारी किया जाना चाहिए। उसमें कोई कमी है तो उस पर चर्चा होनी चाहिए। उसके बाद से नीतीश कुमार भाजपा के साथ सरकार में भी रहें लेकिन उन्होंने उन आंकड़ों को जारी नहीं किया और किसी ने नीतीश कुमार से पूछा भी नहीं की ये आँकड़े क्यों जारी नहीं हुए।
यदि भाजपा जनगणना के आँकड़े जारी नहीं करने दे रही थी तो नीतीश कुमार ने भाजपा को क्यों नहीं छोड़ा, लेकिन जब भाजपा नीतीश कुमार की जगह नया मुख्यमंत्री बनाने लगी तो भाजपा को छोड़कर जातीय जनगणना कराने जा रहे हैं। बिहार के जो मुद्दे हैं उन पर नीतीश कुमार काम नहीं कर रहे हैं। बिहार में बच्चों के पढ़ने के लिए व्यवस्था नहीं है उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। नीतीश कुमार की बेवकूफी और अहंकार की वजह से आज सैकड़ों लोग जहरीली शराब पीने की वजह से मौत के शिकार रहे हैं।