बिहार की सियासी जंग में एक से एक जुबानी महारथी बयान द्वारा एक दूसरे पर हमलावर रहते हैं। इन जुबानी हमलों का असर भी बिहार की राजनीति पर खुब देखने को मिलती है। समय के अनुसार कभी कोई नेता भविष्य वक्ता बन जाते हैं और दूसरे राजनीतक और नेता का भविष्य बताने लगते हैं। कभी दूसरे परियों के नेताओं पर तंज कसते हुए सलाहकार भी बन जाते हैं। तो कभी अपने चिकित्सकीय ज्ञान का भी को भी दर्शाते नजर आते हैं। हालांकि चिकित्सकीय मामले में भाजपा के नेता काफी आगे हैं। जिसका खामियाजा भी उनको भुगतना पड़ा है। साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के DNA को लेकर सवाल खड़ा किया था। जिसका असर चुनावी परिणामों पर भी देखने को मिला था। फिलहाल भी बिहार में विधायकों के ब्लड टेस्ट को लेकर सियासी लड़ाई छिड़ी हुई है।
सिक्किम सड़क हादसा: बिहार के भी दो जवान शहीद, पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
शराबबंदी कानून की लड़ाई, ब्लड टेस्ट पर आई
सारण शराबकांड के बाद से ही विपक्ष में बैठी भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर है। शराबबंदी को फेल बताने के साथ-साथ भाजपा द्वारा विधानसभा में आने वाले विधायकों का ब्लड टेस्ट करने की मांग की गई है। भाजपा का आरोप है कि सता पक्ष के कई विधायक खुद शराब का सेवन करते हैं। इस बयान पर पलटवार करते हुए जेडीयू ने कहा कि सबसे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का ही ब्लड टेस्ट कराया जाना चाहिए। इस सियासी बयानबाजी आज एक बार फिर से संजय जायसवाल सामने आए और कहा कि वो ब्लड टेस्ट के लिए तैयार हैं।
संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं ब्लड टेस्ट के लिए तैयार हूँ नीतीश कुमार जब चाहें मेरा ब्लड टेस्ट करवा लें। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार शासन में हैं उन्हें ब्लड टेस्ट के लिए पहल करना चाहिए और अगर उनसे नहीं हो रहा तो गद्दी भाजपा को सौंप दें। यदि नीतीश कुमार सच में बिहार के अंदर सुधार चाहते हैं तो सबसे पहले विधानसभा में आने वाले विधायकों और पुलिस अधिकारी, आईएस,आईपीएस की भी जांच कराए।