बिहार में नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया हाई कोर्ट के आदेश के बाद थम गई है। नगर निकाय चुनाव स्थगित कर दिया गया है। जबकि 10 और 20 अक्टूबर को ही दो फेज में मतदान होना था। वैसे तो इस चुनाव में राजनीतिक दलों की सीधी भागीदारी नहीं होती। लेकिन निकाय चुनाव रद्द होने के बाद राजनीतिक दलों ने इसमें एक-दूसरे पर आरक्षण विरोधी होने का लेबल चिपकाने की होड़ बढ़ गई है।
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निकाय चुनाव रद्द होने पर सीएम नीतीश पर अवमानना का मुकदमा?
सत्तापक्ष के जदयू और भाजपा के खिलाफ जुबानी जंग तेज है। मुद्दा निकाय चुनाव में अतिपिछड़ा विरोधी होना है। दोनों एक दूसरे पर अति पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं। विधान परिषद में भाजपा के नेता सम्राट चौधरी ने इस मामले में बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर अवमानना का मामला दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने नीतीश कुमार को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। सम्राट चौधरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ काम करने वाले नीतीश कुमार पर कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज होना चाहिए।
निकाय चुनाव में आरक्षण पर जदयू का पलटवार
वहीं भाजपा के हमले के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने मोर्चा संभाला। दोनों ने कहा कि मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2006 में बने कानून के आधार पर आरक्षण देने की व्यस्था की थी। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने उसे सही ठहराया था। अभी उसी एक्ट के जरिए चुनाव हो रहा था। लेकिन आरक्षण विरोधी पार्टी भाजपा ने इसे महाराष्ट्र सरकार के लिए दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जोड़कर भरमाने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा का मुख्य मकसद केंद्र से आरक्षण खत्म करना है।ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण भी समाप्त करना चाहते हैं।