बिहार के नेता ऐसे हैं, जो शर्ट के ऊपर भी बनियान पहन लें। न भाषा का ज्ञान है और ना ही विषयों का। ऐसा ही है बिहार का जमीनी नेता। यह बात हम नहीं कह रहे हैं। बल्कि ये कहना है उस प्रशांत किशोर का जो खुद इसी बिहार में नेता बनने के लिए पैदल यात्रा कर रहे हैं। वैसे तो चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर कहते हैं कि छह राज्यों में उन्हीं के बनाए सीएम उन्हें बिहार का नेता बनाने के लिए फंडिंग कर रहे हैं। वैसे प्रशांत किशोर नीतियों की आलोचना करते-करते नेताओं की आलोचना पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। सीएम नीतीश कुमार ने एक-दो बयान देकर प्रशांत को मिर्ची लगा दी है। तो अब प्रशांत सीएम नीतीश और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव पर खूब बरस रहे हैं।
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बिहार वाले चाचा-भतीजे पर विशेष ‘दुलार’
वैसे तो चाचा-भतीजा यानि नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी पर प्रशांत पहले से ही तल्ख रहे हैं लेकिन कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन की हार ने प्रशांत के दोनों हाथों में लड्डू रख दिया है। प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि तेजस्वी यादव की एक ही पहचान है कि वे लालू यादव के बेटे हैं। तेजस्वी की राजनीतिक समझ पर सवाल उठाते हुए प्रशांत ने कहा कि वो तो साल 2015 में पहली बार विधायक बने। इससे पहले क्या उन्हें कोई जानता भी था? रही बात नीतीश-तेजस्वी जोड़ी की तो इनकी सरकार बनने के बाद हुए 3 सीटों के उपचुनाव में तो ये जोड़ी हार चुकी है। जो सीट इन्होंने जीती है, उसके भी कारण ये नहीं रहे हैं।
तेजस्वी को नेता बनाने पर पीठ थपथपाई
वैसे नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी पर बरसते बरसते प्रशांत अपनी पीठ थपथपाए बिना रह नहीं पाए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ये उपचुनाव तो जीत नहीं पाते और मुझे सिखाते हैं कि चुनाव कैसे लड़ा जाता है। 2015 के चुनावों में मैं इनका मददगार नहीं होता तो इन्हें जीत कभी नहीं मिल पाती। वैसे प्रशांत किशोर के बयानों में कई बार विरोधाभास भी दिखता है। कभी कहते हैं कि 2015 में नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी को उन्होंने ही बनाया और आज कह रहे हैं कि बिहार में शर्ट के उपर बनियान पहनने वाले को नेता मान लिया जाता है।