जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर पिछले 2 वर्षों से बिहार भर में जनता से संवाद कर रहे हैं और आम जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इस दौरान वे अक्सर सरकार से तीखे सवाल पूछते नजर आते हैं।
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि, सरकार के लिए जो शिक्षक और शिक्षण संस्थान हैं, वे पढ़ाई का माध्यम नहीं रह गए हैं। इनके माध्यम से शराबबंदी का काम कराया जा रहा है। कभी शिक्षकों को स्वच्छता मिशन में लगा दिया जाता है, कभी राशन कार्ड बांटने का काम दिया जाता है, और कभी वोटर लिस्ट बनाने में लगाया जाता है। शिक्षकों से उन सभी कार्यों को करवाया जा रहा है जिनका शिक्षक के कर्तव्यों से कोई संबंध नहीं है। एक बार चुनाव आ जाए, तो स्कूल बंद करके शिक्षकों को दो महीने तक चुनाव कार्यों में लगा दिया जाता है।
प्रशांत किशोर ने सरकार के 18–19 वर्षों के कार्यकाल की तीखी आलोचना करते हुए कहा, मैं बार-बार कहता हूं कि जब नीतीश कुमार के शासन काल का इतिहास लिखा जाएगा, तो एक पढ़े-लिखे व्यक्ति के रहते हुए बिहार में शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त होने को उनके शासन का सबसे बड़ा काला अध्याय माना जाएगा। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कल को अगर एक अच्छी सरकार आ जाए और नीतीश कुमार हट जाएं, तो संभव है कि टूटी सड़कें बन जाएं और लोगों को रोजगार मिल सके। लेकिन जो 2 पीढ़ी इस ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था से पढ़कर निकली है, उनका जीवन अब सुधरने वाला नहीं है। उन्हें जीवनभर शिक्षित समाज के पीछे ही चलना होगा।