पिछले दिनों जदयू नेता आरसीपी सिंह के एक बयान ने खूब सुर्खियां बटोरीं थी। आरसीपी सिंह ने कहा था, उनका नाम रामचंद्र है और वे किसी के हनुमान नहीं हैं। जदयू ने उनके इस बयान में त्रेता के बाद द्वापर की घटनाओं को समाहित करने का मूड मिला था। रामचंद्र प्रसाद सिंह को राज्यसभा से बाहर करवा कर वनवास तो पहले ही दे दिया गया था। अब उनके अज्ञातवास की भी तैयारी शुरू हो गई है। मंत्रिमंडल से बाहर आने के बाद आरसीपी सिंह की घर वापसी हो चुकी है। वे अपने गांव मुस्तफापुर में हैं। लेकिन बिहार आते ही उन्हें राजनीतिक अज्ञातवास पर भेजने का हर जुगाड़ भिड़ाने में उनके पुराने साथी लग गए हैं।
प्रवक्ता ने दी चेतावनी
आरसीपी सिंह की जदयू में हालत ये हो गई है कि उन पर कोई भी नेता कुछ भी बोल देता है। पटना पहुंचते ही मीडिया से उन्होंने अपना काम और कद दोनों गिनाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि राज्यसभा में रहने के साथ वे संगठन के आदमी भी रहे हैं। राष्ट्रीय महासचिव से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक उन्होंने संगठन का काम किया है। लेकिन एक चूक हो गई कि मंत्री बनने का श्रेय उन्होंने अपने नेता नीतीश कुमार को नहीं, पीएम नरेंद्र मोदी को दे दिया। आरसीपी सिंह का यही कहना उनके पुराने साथियों को चुभ गया है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने चेतावनी दे दी है। अरविंद निषाद ने कहा कि RCP अहंकार में न रहें। उन्हें सबकुछ नीतीश कुमार की कृपा से ही मिला है।
दया के पात्र बन गए हैं आरसीपी
आरसीपी सिंह के प्रति जदयू का मौजूदा ट्रीटमेंट उनके लिए दयापात्र टाइप का हो गया है। उनके लिए जदयू के सबसे बड़े नेता तो दूर अब बिहार स्तर के पदाधिकारी भी सम्मान नहीं दिखा रहे। पहले तो उपेंद्र कुशवाहा ही उनपर हमला करते थे। उपेंद्र कुशवाहा अब भी यही कह रहे हैं कि आरसीपी सिंह जदयू में है और सिर्फ यही उनकी भूमिका है। मतलब साफ ही है कि राज्यसभा में नई पारी से पहले आउट किए गए आरसीपी को संगठन में भी अगली पारी नहीं खेलने दी जाएगी। दूसरी ओर प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद के बयान ने तो स्पष्ट कर दिया कि जदयू आरसीपी को शहीद नहीं करेगा, उनका होगा छीछालेदर।