लैंड फॉर जॉब्स मामले (Land for Jobs) में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) की मुश्किलें बढ़ रही हैं। ईडी और सीबीआई का शिकंजा लालू परिवार पर कस रहा है। ईडी ने 29 जनवरी को लालू से 10 घंटे पूछताछ की थी। 30 जनवरी को पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से 8 घंटे तक सवाल-जवाब हुए थे। आज पूर्व सीएम राबड़ी देवी और उनकी दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव की ईडी स्पेशल कोर्ट (दिल्ली की राउज एवेन्यू) में पेशी है। इससे पहले तेजस्वी ने ईडी के दो समन 22 दिसंबर और 5 जनवरी को अनदेखा किया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद वह तीसरे समन पर 30 जनवरी को पटना स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे। ईडी ने मामले में तेजस्वी के करीबी अमित कात्याल और लालू के ओएसडी रहे भोला यादव को गिरफ्तार की है।
आधा परिवार जमानत पर बाहर
भोला जमानत पर बाहर हैं। साथ ही लालू, तेजस्वी, राबड़ी, मीसा भी जमानत पर हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में केस की सुनवाई चल रही है। ऐसे में लोगों के जेहन में इस बात की आशंका बढ़ रही है कि क्या लालू परिवार को भी मामले में गिरफ्तारी हो सकती है।
क्या है लैंड फॉर जॉब्स स्कैम?
यूपीए-1 की सरकार (2004 से 2009) में लालू प्रसाद रेल मंत्री थे। तब लालू ने 7 लोगों को रेलवे के ग्रुप-डी में नौकरी दी थी। नौकरी के बदले उनसे औने-पौने दाम में जमीनें लिखवाई थीं। सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट के मुताबिक लालू और उनके परिवार वालों पर रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले अवैध तरीके से जमीन अपने नाम कराने का आरोप है।
4 करोड़ रुपए की जमीन 26 लाख में लिखवा ली
सीबीआई के अनुसार लालू के परिवार ने रेलवे के सात अभ्यर्थियों से पटना और बिहटा की 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपए में लिखवा ली। उस समय की सर्किल रेट के अनुसार जमीन की कीमत 4.39 करोड़ रुपए थी। अहम बात है कि लैंड ट्रांसफर के ज्यादातर केस में जमीन मालिक को नगद भुगतान किया गया। यह पूरा खेला गिफ्ट और सेल डीड के जरिए हुआ था।