बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को हर हाल में त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे प्रशांत किशोर जोर शोर से अपनी पार्टी की लांचिंग की कोशिश में जुटे हैं। प्रशांत किशोर राजद पर भी बरस रहे हैं और जदयू को भी घेर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस को तो प्रशांत किशोर बिहार में अकेले सरकार बनाने वाली पार्टियां मानते ही नहीं हैं। अगले चुनाव में सरकार बनाने का दावा कर रहे प्रशांत किशोर की सरकार क्या पार्टी भी नहीं बनी है लेकिन वे सरकार गिराने के तरीके की बात कर रहे हैं।
दरअसल, प्रशांत किशोर ने नया शिगूफा छोड़ा है, जिसमें उनका कहना है कि उनकी पार्टी की सरकार बनी तो जनता के पास सरकार गिराने का रिमोट रहेगा। यानि राइट टू रिकॉल का अधिकार प्रशांत किशोर जनता को देंगे। जनता चाहेगी तो ढाई साल बाद सरकार के कार्यों का मूल्यांकन कर सरकार गिरा सकती है। प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर किसी जन प्रतिनिधि के कार्यों से जनता संतुष्ट नहीं हुई तो उसे इस्तीफा देने को पार्टी विवश करेगी।
प्रशांत किशोर का यह मॉडल कुछ अरविंद केजरीवाल के मॉडल से जुड़ा है। जिसमें राइट टू रिकॉल तो नहीं लेकिन केजरीवाल दावा करते हैं कि हर जरूरी फैसला वो जनता के रेफरेंडम से करते हैं।