बिहार में सरकार चला रहे महागठबंधन में कुछ तो ऐसा है जो ठीक नहीं है। राजद और जदयू दोनों दलों के नेता अभी एक दूसरे के खिलाफ कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन अब राजद नेताओं के एक कदम ने दोनों के बीच की दूरियों को सबके सामने ला दिया है। अमूमन सरकार के कार्यकाल का ब्यौरा एक साल पर जारी किया जाता है लेकिन राजद के नेताओं ने 15 महीनों का ही रिपोर्ट जारी कर दिया है। यही नहीं इस रिपोर्ट कार्ड में राजद नेताओं ने 10 सालों की तुलना उन 15 महीनों से की है, जिसमें राजद शामिल रहा है। वैसे राजद नेताओं ने 10 सालों का अर्थ पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बताई लेकिन हकीकत यह भी है कि इन 10 सालों में वही नीतीश कुमार बिहार के सीएम रहे हैं, जो अभी राजद के रहते हुए भी बिहार सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
‘लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में होगा सत्ता परिवर्तन’, NDA में शामिल होंगे नीतीश?
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा है कि 15 महीना बनाम 10 साल की तुलना महंगाई, रोजगार और अन्य सवालों के आधार पर की जाए तो पायेंगे कि तेजस्वी यादव ने अपने संकल्पों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरा किया है। राजद ने महागठबंधन सरकार की उपलब्धियों की जानकारी रविवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी। शक्ति यादव ने कहा कि “महागठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए है।” उन्होंने कहा कि “BJP ने प्रति वर्ष एक करोड़ रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया।” अब सवाल यह उठता है कि 10 सालों की तुलना में तेजस्वी को श्रेय देते हुए राजद नेताओं को ध्यान ही नहीं रहा कि 10 सालों की तुलना में नीतीश कुमार का नाम फंसेगा। या फिर राजद का यह जानबूझ कर उठाया गया कदम है। क्योंकि नीतीश कुमार के महागठबंधन से दूर जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।
शक्ति यादव ने कहा कि भाजपा खुद को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बताती है, लेकिन नौकरी देने में तो विश्व रिकॉर्ड तो हमने बनाया है। विश्व में कहीं भी इतने कम दिनों में इतनी ज्यादा नौकरी नहीं दी गई है। भाजपा को चुनौती है कि ऐसा कुछ उन्होंने किया है तो बताएं। उन्होंने कहा कि बिहार ने जातीय गणना करके नज़ीर पेश की है और पिछड़ी जातियों के लिए हमारी सरकार ने 75 प्रतिशत आरक्षण दिया है। बीजेपी कहती थी कि अगर भगवान भी आएंगे तो इन 4 लाख लोगों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं दिया जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस में आरजेडी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुलबारी सिद्दीकी, प्रदेश राजद के प्रधान महासचिव रणविजय साहू व अन्य मौजूद थे।
आपको बता दें कि राजद के रिपोर्ट कार्ड का पूरा जोर शिक्षा विभाग द्वारा दी गई नौकरियों पर है। जदयू को घेरने के सवाल इसीलिए उठ रहे हैं कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में हमेशा यह विभाग जदयू के हिस्से ही रहा है। कुछ दिनों तक इस विभाग में अशोक चौधरी मंत्री रहे, जो तब कांग्रेस में थे। लेकिन वे भी अब जदयू में आ चुके हैं। अशोक चौधरी के कार्यकाल को छोड़ दें तो नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहते हुए पहली बार यह विभाग दूसरे दल के नेता को मिला है।