आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह (RJD MLC Sunil Singh) की सदस्यता रद्द होने पर राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के अड़ियल रवैया और जिद के कारण हुई है। वह अचेत अवस्था में हैं। जिसके कारण यह सब हुआ। जहां नियमावली लागू नहीं होती है जिसके कारण बिहार विधान परिषद के सदस्य और विपक्ष के मुख्य सचेतक डॉक्टर सुनील कुमार सिंह की सदस्यता को समाप्त किया गया। आज पटना में राजद ने एक प्रेस कांफ्रेंस की. इसमें बिहार विधान परिषद के सदस्य कारी सोहेब, अशोक पांडे, अजय सिंह, एजाज अहमद, प्रमोद सिंह, अरुण यादव उपस्थित थे।
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह ने कहा कि संसदीय इतिहास में कल का दिन काला दिन था। लोकतंत्र में हम लोगों ने कई लोकसभा और विधानसभा में कार्रवाईयों को देखा है। कड़वी से कड़वी बात करने की परंपराओं को भी देखा है। लेकिन शासन अड़ियल और जिद्दी हो, ऐसा कभी नहीं देखा है। एक निर्वाचित सदस्य की सदस्यता समाप्त करने के लिए दो व्यक्तियों को प्रलोभन दिया गया है। एक, जिसने आचार समिति के रिपोर्ट को उल्लेख किया, उनको बिहार विधान परिषद का उपसभापति बनाया गया और वो दूसरे पूर्व के सभापति थे, उनको सीतामढ़ी से लोकसभा का टिकट दिया गया। यह पूरी पटकथा और साजिश बहुत पहले से रची गई थी। हमारे एक सदस्य को बिहार विधान परिषद में सत्र से निलंबित करने का भी निर्णय लिया गया। जिनका नाम कारी सोहेब है।
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मैं आपको कहना चाहता हूं कि राज्यसभा के अंदर उपराष्ट्रपति सभापति होते हैं। जगदीप धनखड़ की मिमिक्री के सवाल पर सदस्य की सदस्यता नहीं गई। लेकिन जिस मिमिक्री को आधार माना गया। हम लोगों ने उसका वीडियो मांगा है। मेरी चुनौती है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को, साथ ही साथ जदयू और भाजपा के नेताओं को कि वह वीडियो को सार्वजनिक करें, जिसको आधार मान कर के डॉक्टर सुनील कुमार सिंह की सदस्य समाप्त की गई है।
मिमिक्री के सवाल पर पूरी चुनौती है सत्ता पक्ष वालों को कि आप पूरे वीडियो को पब्लिक डोमेन में दें। आचार समिति की बैठक में जो आरोप सुनील कुमार सिंह पर लगाए गए थे, उसके साक्ष्य को प्रस्तुत किया जाए। बिना साक्ष्य के भ्रामक और मिथ्या कल्पना की गई और कल्पना के आधार पर एक सदस्य की सदस्यता समाप्त की गई। लोकतंत्र में बोल, विचार से चलता है। लोकतंत्र तानाशाही से नहीं चलता है। सुनील सिंह क्षत्रिय के अंश है। यह बात नहीं भूलनी चाहिए। क्षत्रिय कर्तव्य परायण होते हैं। वह मिथ्या आरोप पर कभी झुकता नहीं है। पूरे राज्य के क्षत्रिय समाज ने इसे चुनौती के रूप में लिया है। किसी भी निर्वाचित सदस्यों को यूं ही अपनी जिद के आगे सदस्यता समाप्त नहीं कर सकते हैं। अगर यह आधार है तो सीएम नीतीश कुमार ने कई बार किया है। हमारा सवाल बीजेपी से है कि देश के प्रधानमंत्री ने जब जीतन राम मांझी पर कहा था। तब क्या हुआ?