भागलपुर से सांसद रहे बूलो मंडल ने राजद के साथ कांग्रेस को भी बड़ा झटका दिया है। राजद नेता बुलो मंडल ने गुरुवार, 19 अप्रैल को जदयू की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके साथ ही भागलपुर की सियासत में बड़ा बदलाव आया है। बुलो मंडल के जदयू में आ जाने से महागठबंधन को वोटिंग के ठीक पहले यह बड़ा झटका लगा। राजद को अपने एक पूर्व सांसद के खोने का झटका लगा है तो कांग्रेस की परेशानी यह है कि इस बार भागलपुर सीट उसी के पास है।
2014 में राजद के टिकट पर जीते शैलेश कुमार मंडल उर्फ बुलो मंडल ने भागलपुर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। प्रचंड मोदी लहर में वाजपेयी कैबिनेट के मंत्री रहे कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन को बुलो मंडल ने हराया था। राजद ने 2019 में भी टिकट दिया था। लेकिन वे हार गए। इस बार 2024 में राजद ने भागलपुर सीट कांग्रेस को दे दी। इस कारण बुलो मंडल का पत्ता कट गया। लेकिन बुलो मंडल इससे खुश नहीं हैं।
जदयू में शामिल राजद के पूर्व सांसद देंगे कांग्रेस को झटका?
भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का इतिहास बताता है कि कांग्रेस के पांव यहां से उखड़ चुके हैं। इस सीट से 1984 में आखिरी बार कांग्रेस के टिकट पर भागवत झा आजाद जीते थे। इसके बाद कांग्रेस या तो यहां लड़ती नहीं या फिर जीतती नहीं। इस बार राजद ने यह सीट कांग्रेस को दी तो कांग्रेस ने अजीत शर्मा को उतारा है, जो विधायक हैं। बुलो मंडल के महागठबंधन छोड़ने का झटका सिर्फ राजद को ही नहीं कांग्रेस को भी लगा है। क्योंकि बुलो मंडल ही पिछले 20 सालों में अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिन्हें महागठबंधन के किसी दल की ओर से एक बार जीत मिली है। नहीं तो यह सीट भाजपा और जदयू के पास ही रही है।
जदयू ज्वाइन करने के बाद बुलो मंडल ने कहा कि राजद में अब आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो चुका है। पुराना राजद अब नहीं रहा। समाज और लोगों से जुड़े हैं, उनका काम तो करना है। सीएम नीतीश कुमार लगातार बिहार में काम कर रहे हैं। विपक्ष में हम थे तब भी सीएम ने मेरे आग्रह पर जन समस्या के लिए काम किया।