बिहार उपचुनाव में एनडीए की एकतरफा जीत के बाद राजद के बक्सर से सांसद सुधाकर सिंह ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने भाजपा और जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जनसुराज पर विपक्षी वोटों को बांटने का आरोप लगाया है। सुधाकर सिंह का कहना है कि जनसुराज, जो कि बीजेपी की बी टीम के रूप में काम कर रही है, विपक्षी महागठबंधन के वोटों को तोड़ने में लगी है, न कि बीजेपी के वोटों को नुकसान पहुंचाने के लिए। हालांकि उपचुनाव की सीटों की चर्चा के दौरान सुधाकर सिंह ने रामगढ़ विधानसभा का चुनावी रिकॉर्ड की चर्चा नहीं की।
दरअसल, रामगढ़ सीट से 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सुधाकर सिंह खुद जीते थे। लेकिन उनकी यह जीत संयोगवश हुई। महज 189 वोटों से जीते सुधाकर सिंह को ईवीएम में मिले वोटों के आधार पर हार मिली थी। दरअसल, ईवीएम में सुधाकर सिंह को 57284 वोट मिले। जबकि बसपा के अम्बिका सिंह को 57589 वोट मिले। लेकिन पोस्ट बैलेट में सुधाकर सिंह को 799 वोट मिले और अम्बिका सिंह को 305 वोट मिले। ईवीएम और पोस्टल बैलेट को जोड़ने पर सुधाकर सिंह 189 वोट से आगे हुए।
जबकि 2024 में रामगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में राजद उम्मीदवार के तौर पर उतरे सुधाकर सिंह के भाई अजीत सिंह 35825 वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे। दूसरे नंबर पर बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव रहे जिन्हें 60895 वोट मिले। वहीं भाजपा के अशोक सिंह ने 62257 वोट प्राप्त कर 1362 वोटों से चुनाव जीता। जनसुराज के सुशील कुमार सिंह चौथे नंबर पर रहे और उन्हें सिर्फ 6513 वोट मिले।
जनसुराज पर बरसते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि “हमने पहले ही अंदाजा लगाया था कि चार सीटों पर हमें नुकसान होगा। जनसुराज ने महागठबंधन के वोटों में सेंधमारी की है। कहीं भी इस पार्टी ने एनडीए के वोटों को नुकसान नहीं पहुंचाया। बल्कि उनका प्रभाव पूरी तरह से एनडीए के अनुकूल रहा। यह साफ दिखता है कि प्रशांत किशोर ने विपक्षी वोट तोड़ने के लिए ही जनसुराज पार्टी बनाई थी और इसका मकसद महागठबंधन को नुकसान पहुंचाना था।”
सुधाकर सिंह ने यह भी कहा कि जनसुराज का कोई अपना एजेंडा नहीं है, और यह पूरी तरह से बीजेपी-जेडीयू की मदद के लिए काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर की पार्टी को विपक्षी वोटों को कमजोर करने के लिए प्रायोजित किया गया है, न कि किसी स्वतंत्र राजनीतिक उद्देश्य के लिए।
आरजेडी सांसद ने आगे कहा कि “हम किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं हैं। 2024 में हम और भी मजबूत होंगे। 2019 में महागठबंधन के पास सिर्फ एक सांसद था, अब हमारे पास दस सांसद हैं। हम एक से दस की यात्रा कर चुके हैं, जबकि एनडीए 39 से घटकर 30 सीटों पर आ गया है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अंतर होता है और राज्य की राजनीति में तेजस्वी यादव ही सबसे बड़े नेता हैं। 2020 में जो थोड़ी कमी रह गई थी, वो 2025 में पूरी हो जाएगी और आरजेडी अपने दम पर सरकार बनाएगी।”
जेडीयू पर भी हमला बोलते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि भाजपा समर्थित मीडिया यह प्रचारित कर रही है कि आरजेडी का हाल 2010 जैसा होगा, लेकिन अब बिहार की जनता नीतीश कुमार के नेतृत्व को अच्छी तरह से समझ चुकी है, और यही वजह है कि एनडीए अब लगातार पीछे जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि जेडीयू का संख्या बल और वोट प्रतिशत लगातार घट रहा है।
बिहार उपचुनाव में चारों सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी, जबकि महागठबंधन का खाता भी नहीं खुल पाया था। इस चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को करीब 10 फीसदी वोट मिले थे, जो कि महागठबंधन के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।