UPSC ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री भर्ती के लिए 45 पोस्ट पर वैकेंसी निकाली थी। इसे अब रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC चेयरमैन को नोटिफिकेशन रद्द करने को कहा। कहा जा रहा है कि PM मोदी के कहने पर यह फैसला बदला गया है। इसको लेकर राजद सांसद मनोज झा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह तेजस्वी यादव के दबाव बनाने के कारन हुआ है।
राजद सांसद मनोज झा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लैटरल पर रोल बैक करना संविधान की विजय को दर्शाता है। शुरू से ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लैटरल के बारे में बताया उसके बाद पूरे देश में इसका विरोध किया गया। आज केंद्र सरकार को अपने उस निर्णय पर रोक लगाते हुए लैटरल को रद्द किया गया। यह संविधान की जीत है।
बता दें कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने सबसे पहले एक्स पर पोस्ट कर इस मुद्दे को उठाया था। उसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसका विरोध किया था। इतना ही नहीं मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी लेटरल एंट्री भर्ती पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा- सरकारी नियुक्ति में आरक्षण होना चाहिए, इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं हो। निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है। सरकारी पदों पर इसे लागू नहीं करते हैं, तो चिंता की बात है।
लेटरल एंट्री क्या है
लेटरल एंट्री का मतलब बिना एग्जाम के सीधी भर्ती से है। लेटरल एंट्री के जरिए केंद्र सरकार UPSC के बड़े पदों पर प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की सीधी भर्ती करती है। इसमें राजस्व, वित्त, आर्थिक, कृषि, शिक्षा जैसे सेक्टर्स में लंबे समय से काम कर रहे लोग शामिल होते हैं। सरकार के मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर्स और डिप्टी सेक्रेटरी की पोस्ट पर भर्ती लेटरल एंट्री से की जाती है। UPSC में लेटरल एंट्री की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। इसमें जॉइंट सेक्रेटरी लेवल की पोस्ट के लिए 6077 एप्लीकेशन आए। UPSC की सिलेक्शन प्रोसेस के बाद 2019 में अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में 9 नियुक्ति हुई।