पटना : आरजेडी के बक्सर से सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार में भूमि सर्वे, खाता खेसरा लॉक, और दाखिल खारिज को लेकर हो रही आम जनता की परेशानियां पर बिहार सरकार के ऊपर जमकर हमला बोला। बक्सर सांसद ने बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भूमि सर्वेक्षण के नाम पर राज्य सरकार द्वारा ऐसे कई नीतिगत फैसले लिए हैं और प्रक्रिया बनाई गई हैं, जो सीधे तौर पर दर्शाते हैं कि सरकार सुनियोजित साजिश के तहत किसानों एवं रैयतों की जमीन को हड़प कर अपना लैंड बैंक बनाना चाहती है।
उदाहरण के लिए भूमि बिहार स्पेशल सर्वे और सेटलमेंट एक्ट 2011 में सरकार ने यह नियमावली बनाई है कि सर्वेक्षण में किसी प्रकार की कानूनी समस्या का निष्पादन सिर्फ पटना हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होगा। अब हमें यह समझना है कि बिहार के लगभग 3 से 4 करोड़ किसान, रैयत, एवं जमीन मालिक में कितने लोग पटना हाइ कोर्ट में केस लड़ने में आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम हैं। साथ ही, बड़ा सवाल है कि क्या इतने बड़ी संख्या में जमीनी केसों का निपटारा सिर्फ एक कोर्ट से संभव है?
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साथ ही, सरकार की मंशा यह है कि जिस भी जमीन के कागजात पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं हैं या पिछले सर्वे के अनुसार उनकी श्रेणी बकाश्त, जिरात ठिकेदार, जिरात मालिक, गैरमजरुआ खास, भूदान, मालगुजारी रहित इत्यादि है उसे सरकारी घोषित करके जमीन कब्जे में ले लेना है। बिहार सरकार ने बिना उचित तैयारी और इंतजाम के इतनी बड़ी पहल की है और अधिकांश जिलों के भूमि सर्वे के पदाधिकारियों की न तो उचित ट्रेनिंग, न ही जरूरत के हिसाब से संसाधन मुहैया कराए गए हैं।
साथ ही, पूरे बिहार में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए और लोगों को उनके जमीनों के मालिकाना अधिकारों से वंचित करते हुए राज्य सरकार ने सभी जिला पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि कड़ेस्टल सर्व के आधार पर बकाश्त, जिरात ठिकेदार, जिरात मालिक, गैरमजरूआ खास, भूदान, मालगुजारी रहित समेत बड़े पैमाने पर रेयती जमीन के खाता खेसरा को लॉक कर दिया गया है ताकि उनकी रजिस्ट्री न हो पाए।
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औसतन प्रत्येक जिले में कम से कम 10,000 से 15,000 खाता एवं खेसरा को लॉक किया गया है जो संभावित तौर पर लगभग 25,000 एकड़ से ज्यादा भूमि इससे प्रभावित है। अगर पूरे राज्य की बात करें तो लगभग 4 से 5 लाख खाता को गैर कानूनी तरीके से रैयत को बिना सूचित किए हुए खाता खेसरा को लॉक किया गया है। खाता खेसरा के लॉक को हटाने के लिए जिला उपसमाहर्ता के निर्देशन में एक कमिटी बनाया गया मगर किसी भी जिले में इस कमिटी ने रैयतों को सहयोग नहीं किया है और खाता खेसरा लॉक की समस्या का कोई निष्पादन नहीं किया जा रहा है।
सरकारी नियमावली के अनुसार खाता खेसरा लॉक के खिलाफ लोग पटना हाइ कोर्ट में जा सकते हैं। मगर इतनी बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा करने में कई दशक लग जाएंगे और तब तक ऐसे प्रत्येक मामले में रैयती जमीन की मालिकाना सरकारी प्रक्रियाओं के जटिलता के वजह से स्थापित नहीं हो पाएगा।