बिहार में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। राजधानी पटना समेत कई शहरों का एक्यूआई बिगड़ा हुआ है। नतीजतन, हर साल बिहार को 14762 करोड़ रुपए की क्षति हो रही है। यह सूबे की जीडीपी का 1.95 प्रतिशत है। वायु प्रदूषण के कारण भारी संख्या में लोगों की असमय मौत हो रही है। यह दावा लैंसेट की रिपोर्ट में किया गया है।
सूबे को घरेलू ईंधन प्रदूषण से सबसे अधिक हानि
हवा में मौजूद अति सूक्ष्म धूल कण के झपेट में बिहार की लगभग पूरी आबादी है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश का भी यही हाल है। घरेलू ईंधन जनित वायु प्रदूषण में बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा ज्यादा हानि हो रही है। सबसे अधिक को 0.98 प्रतिशत हानि उठानी पड़ रही है। यहां के 70 प्रतिशत घरों में लकड़ी, गोयठा एवं अन्य पारंपरिक ईंधन का उपयोग किया जा रहा है, जो खतरनाक बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। दूसरे नंबर छत्तीसगढ़ है। यहां 0.89 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 0.88 प्रतिशत, असम में 0.84 प्रतिशत हानि हो रही है।
बिहार अपने जीडीपी का 1.95 प्रतिशत हिस्सा गंवा रहा
वायु प्रदूषण के कारण बिहार अपने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 1.95 प्रतिशत गंवा दे रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में बिहार का जीडीपी 7,57,026 करोड़ रुपए था। हैरत होगी कि वायु प्रदूषण से जिला आर्थिक नुकसान हो रहा है, उतना सूबे के 40 विभागों का सालाना बजट भी नहीं है। सिर्फ चार विभागों का सालाना बजट 14762 करोड़ रुपए से अधिक है, जिनमें ग्रामीण विकास विभाग, गृह विभाग, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग शामिल है।
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