बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से जुड़े 41 कॉलेजों में एक गंभीर मुद्दा सामने आया है। इन कॉलेजों में सरकार द्वारा जारी की गई राशि, जो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिला छात्राओं को नामांकन शुल्क की वापसी के लिए निर्धारित की गई थी, छात्रों तक नहीं पहुंचाई गई है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने मार्च 2023 में ही राशि वापसी के लिए 25 करोड़ रुपये जारी कर दिए थे। यह राशि वर्ष 2016-17 से 2019-20 के बीच नामांकन के समय ली गई शुल्क राशि की वापसी के लिए थी।
हालांकि सरकार द्वारा राशि जारी कर दी गई है, कई कॉलेज राशि वापसी की प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं। यह देरी छात्राओं के लिए आर्थिक बोझ बन गई है। साथ ही, उन्हें अपनी राशि वापसी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों के अनुसार, SC-ST और महिला छात्राओं से सामान्य पाठ्यक्रमों में नामांकन के समय शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, UGC यह भी निर्देश देता है कि यदि किसी छात्र ने किसी महाविद्यालय से दूसरे महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया है, तो पूर्ववर्ती महाविद्यालय को शुल्क राशि वापस करनी होती है। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने बार-बार कॉलेजों को राशि वापसी के निर्देश जारी किए हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
छात्राओं को अपनी राशि वापस पाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेजों से संपर्क करना चाहिए। यदि आवश्यक हुआ तो उन्हें कानूनी सहायता लेने का विकल्प भी चुनना चाहिए। विश्वविद्यालय प्रशासन को भी राशि वापसी प्रक्रिया में तेजी लाने और देरी करने वाले कॉलेजों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए। यह छात्राओं के हित में जरूरी है।