बिहार विधानसभा में शुक्रवार को एक बार फिर ‘व्याकुलता’ की बात चली। विधानसभा में पिछले साल यानि मार्च 2022 में भी एक बार इसी शब्द की चर्चा हुई थी। जिसके बाद अच्छी-खासी गरमागरमी हो गई थी। हालांकि मार्च 2022 में इस शब्द से माहौल गरमाने वाले और मार्च 2023 में इस शब्द का इस्तेमाल करने वाले नेता अलग अलग हैं। लेकिन जिनके लिए ‘व्याकुलता’ शब्द का इस्तेमाल हुआ है, वह सदस्य एक ही हैं।
दीदी के ‘एकला चलो रे’ से JDU की उम्मीदों पर फिरा पानी
विजय कुमार सिन्हा पर तेजस्वी यादव की टिप्पणी
व्याकुल होने वाली टिप्पणी शुक्रवार को विधानसभा में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा पर की। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले की खबरों की जांच कराने की मांग बिहार सरकार से कर रहे थे। उनका कहना था कि डिप्टी सीएम का इस पर जवाब होना चाहिए क्योंकि वे पिछले दिनों तमिलनाडु में ही थे।
इसी बात का जवाब देने उठे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि “नेता प्रतिपक्ष इस इश्यू को लेकर व्याकुल हैं।” इसी बात पर विजय कुमार सिन्हा थोड़े नाराज हुए और ऐसा कहने से रोकने की कोशिश की। लेकिन तेजस्वी यादव ने कहा कि क्या ये असंसदीय भाषा है? इसके बाद उन्होंने अपना जवाब दिया।
पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था- व्याकुल नहीं होना है
विजय कुमार सिन्हा के लिए व्याकुल होने वाली टिप्पणी का एक पुराना किस्सा भी है। दरअसल, 18 मार्च 2022 को विधानमंडल की कार्रवाई के दौरान विजय कुमार सिन्हा विधानसभा के अध्यक्ष थे। तब पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी थे, जो आज बिहार विधान परिषद में भाजपा के नेता हैं। दोनों नेता भाजपा में ही हैं। लेकिन उस दिन सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा में खासी बहस हो गई।
मामला यह था कि विजय कुमार सिन्हा ने सम्राट चौधरी को टोका कि उनके विभाग द्वारा ऑनलाइन जवाब नहीं दिया जाता है। इसी का जवाब देते हुए सम्राट चौधरी ने कहा कि ‘बहुत व्याकुल नहीं होना है’। नाराज विजय कुमार सिन्हा ने शब्द वापस लेने को कहा। लेकिन सम्राट चौधरी ने शब्द वापस भी नहीं लिया और दुबारा इस्तेमाल कर दिया। इसके बाद विजय कुमार सिन्हा का गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी। इसके बाद बहुत मनाने पर विजय कुमार सिन्हा माने थे।