बिहार सरकार ने 15 जून से 15 अक्टूबर के बीच नदियों से बालू खनन पर रोक लगा दी है. इस दौरान लीजधारकों को परेशानी ना हो, इसलिए सरकार ने उन्हें एक रियायत दी है. लीजधारक पहले से निकाले गए बालू की ढुलाई और बिक्री के लिए सेकेंडरी लोडिंग स्टेशन बना सकते हैं. हालांकि, इन स्टेशनों को बनाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा.
पहली बात, सेकेंडरी लोडिंग स्टेशन नदी किनारे से कम से कम 300 मीटर की दूरी पर बनाए जाने चाहिए. लीजधारकों को जमीन का विवरण और उनके पास मौजूद बालू की जानकारी विभाग को ऑनलाइन जमा करानी होगी. साथ ही, हर स्टेशन पर उन्हें वजन मापने की मशीन, कांटेदार तार की फेंसिंग और सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे. ये कैमरे विभाग के मुख्यालय के कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे.
दूसरे, लोडिंग स्टेशन पर एक साइन बोर्ड लगाना होगा. इस बोर्ड पर लीजधारक का पूरा विवरण, स्टेशन पर मौजूद बालू की मात्रा और बिक्री मूल्य लिखा होना चाहिए. लीजधारक केवल ई-चालान के जरिए ही बालू का परिवहन कर सकेंगे. बालू ले जाने वाले वाहनों पर जीपीएस लगाना अनिवार्य होगा. साथ ही, हर गाड़ी पर 20 इंच चौड़ी लाल पट्टी बनानी होगी, जिस पर खनन वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा होगा. आखिरी में, लीजधारकों को हर 15 दिन में विभाग को स्टेशन पर मौजूद बालू की जानकारी देनी होगी.
इस नई व्यवस्था का मकसद कई समस्याओं को दूर करना है. सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है नदियों से अवैध खनन और बालू की तस्करी को रोकना. इसके अलावा, इसका उद्देश्य खनन गतिविधियों में पारदर्शिता लाना और सरकार की कमाई बढ़ाना है.
इस बदलाव से उम्मीद है कि कई लोगों को फायदा होगा. सरकार को अवैध खनन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और उसकी आमदनी भी बढ़ेगी. लीजधारकों को अपने पहले से निकाले गए बालू को बेचने और ढोने का एक वैध तरीका मिल जाएगा. साथ ही, खरीदारों को उचित दाम पर बालू मिल सकेगा.
लेकिन, अभी भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सभी नियमों काがき कायदे से पालन किया जाए. अवैध खनन को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल हो सकता है. इसके अलावा, खनन गतिविधियों का पर्यावरण पर भी असर पड़ता है, इस पर भी ध्यान देना जरूरी है.
अंत में, नदियों से बालू खनन पर रोक के दौरान, सेकेंडरी लोडिंग स्टेशन बनाने की अनुमति देकर सरकार ने लीजधारकों को राहत दी है. यह नई व्यवस्था अवैध खनन को रोकने, पारदर्शिता लाने और सरकारी आमदनी बढ़ाने के लिए बनाई गई है. लेकिन, इसको सफल बनाने के लिए लागू किए गए नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा और साथ ही पर्यावरण पर इसके प्रभाव को भी कम करना होगा.tunesharemore_vert