मॉब लिंचिंग का नया मामला छपरा से सामने आया है। बीते 3 फरवरी को सारण जिले में तीन युवक मॉब लिंचिंग का शिकार हुए थे। उस दिन के बाद से शहर की स्थिति तनावपूर्ण हो गई। ऐतियात बरतते हुए प्रशासन ने सारण में सोशल नेटवर्किंग साईट पर दो दिनों के लिए बैन लगा दिया है। आज से 8 फरवरी तक सारण में सोशल मीडिया पर बैन रहेगा।
बता दें कि बीते दिन शनिवार को इस घटना में आरोपियों के गिरफ्तार ना होने पर मामला बढ़ता गया। आक्रोशित लोगों ने आरोपियों के घर में आग लगा दिया। वही उनकी मांग है कि अगर 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी नहीं हुई तो आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा।
हालांकि युवक की मौत से नाराज घर वालों ने जमकर तोड़फोड़ की और आरोपी के घरों को आग के हवाले कर दिया। जिसके बाद गांव में अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। लोगों ने इस मामले में आरोपी मुखिया सहित उसके आस पास के घरों में भी आग लगा दी गई। इसी स्थिति को देखते हुए छपरा में धारा 144 भी लागू कर दिया गया है।
इन सोशल नेटवर्किंग साईट पर लगा बैन
- Qzone
- Tublr
- Google+
- Baidu
- Skype
- Viber
- Line
- Snapchat
- Telegram
- Snaptish
- YouTube
- Vine
- Xanga
- Buaanet
- Flikr
- other social networking sites meant for maas messaging
पुलिस टीम भी तैनात
बातया जा रहा है कि बढ़ते विवाद को लेकर सारण एसपी गौरव मंगला भी मुबारकपुर गांव में काफी देर तक डेरा डाले हुए थे। इस मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है।बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस तेजी से छापेमारी कर रही है। इलाके की स्थिति तनावपूर्ण ना हो इसको लेकर धारा 144 लागू है।
ये है पूरी घटना
मॉब लिंचिंग का शिकार बने युवक भी मांझी थाना क्षेत्र के मुबारकपुर गांव निवासी ही हैं। जिनमें मृतक की पहचान जयप्रकाश सिंह के पुत्र अमितेश कुमार सिंह एवं उदय नारायण सिंह के 25 वर्षीय पुत्र आलोक कुमार सिंह उर्फ विक्की है के रूप में की गई है। वही जिंदगी और मौत से जूझ रहे युवक की पहचान संजय सिंह के 22 वर्षीय पुत्र राहुल कुमार सिंह के रूप में हुई है। इन तीनों का कोई आपराधिक इतिहास ज्ञात नहीं है।
बता दें कि मांझी थाना क्षेत्र के मुबारक गांव निवासी मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव के द्वारा यह बात फैलाई गई कि उनके ऊपर मॉब लिंचिंग के शिकार तीनों युवक हत्या की नीयत से फायरिंग कर रहे थे और उनके द्वारा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर तीनों को पकड़कर अपने मुर्गी फार्म बंद किया गया था। जहां तीनों युवक मॉब लिंचिंग का शिकार हुए। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि जिस जगह पर मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव का दावा कर रहे हैं, वहां से एक भी हथियार बरामद नहीं की गई है। जिस कारण मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव संदेह के दायरे में हैं।