बिहार के सारण में बड़ा राजनीतिक खेल हो रहा है। महाराजगंज लोकसभा सीट पर कई बार सांसद रहे प्रभुनाथ सिंह का परिवार इस बार रणधीर सिंह को टिकट नहीं मिलने को लेकर नाराज है। पिछले दिनों हुई बैठक में यह भी तय हुआ कि रणधीर सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर निर्णय लिया जाएगा। लेकिन अब खेल पलट गया है। टिकट कटने से नाराज प्रभुनाथ परिवार अब जदयू में वापसी की ओर बढ़ चला है। सूत्र बता रहे हैं कि रणधीर सिंह की बात जदयू में हो गई है और वे लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ना टाल सकते हैं। यह सबकुछ अगले 10 से 15 दिनों में तय हो जाएगा।
सूत्रों के अनुसार प्रभुनाथ परिवार जदयू में वापसी कर रहा है। लगभग डेढ़ दशक तक लालू के साथ रहने के पहले प्रभुनाथ सिंह नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में गिने जाते थे। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए। 2010 के विधान सभा चुनाव से पहले प्रभुनाथ सिंह राजद में शामिल हो गए थे। लेकिन अब एक बार फिर प्रभुनाथ परिवार का जदयू में आना तय हो गया है।
प्रभुनाथ परिवार के जदयू में जाने को भाजपा का भी समर्थन माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में टिकट से फिसले प्रभुनाथ परिवार को संभवत: बनियापुर और मांझी विधानसभा सीट पर मनाया गया है। इसके अलावा मंत्रिमंडल में भी स्थान देने की चर्चा है।
इस डील का तात्कालिक फायदा भाजपा को होगा। क्योंकि महाराजगंज में भाजपा के उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की सीट उलझती दिख रही थी। महाराजगंज से कांग्रेस ने भूमिहार उम्मीदवार आकाश प्रसाद सिंह को उतारा है। जबकि सिग्रीवाल राजपूत हैं। ऐसे में अगर रणधीर सिंह निर्दलीय उतरते हैं तो राजपूत वोटों का बंटवारा संभव है और ऐसी स्थिति में सिग्रीवाल की सीट फंस सकती है।