लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में आज सासाराम सीट पर भी मतदान हो रहा है। बिहार की अधिकतर सीटों की तरह सासाराम लोकसभा सीट पर भी NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है। NDA ने बीजेपी के मौजूदा सांसद छेदी पासवान का टिकट काटकर शिवेश राम को मैदान में उतारा है तो महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के मनोज कुमार चुनौती पेश कर रहे हैं।
बीजेपी का गढ़ बनाता जा रहा है सासाराम
जगजीवन राम और उनकी बेटी मीरा कुमार के गढ़ के रूप में शुमार सासाराम लोकसभा सीट अब बीजेपी का गढ़ बनता जा रहा है। बीजेपी ने यहां पहली बार 1996 में जीत दर्ज की और मुनीलाल यहां के सांसद बने। उसके बाद मुनीलाल ने 1998 और 1999 में भी जीत दर्ज की और हैट्रिक लगाई। हालांकि 2004 और 2009 में कांग्रेस की मीरा कुमार ने बाजी मारी लेकिन 2014 और 2019 में बीजेपी के छेदी पासवान ने यहां से जीत का परचम लहराया।
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इस सीट से 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस की मीरा कुमार ने बीजेपी के मुनीलाल को हराकर जीत दर्ज की तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को हराकर 10 साल बाद सासाराम सीट पर भगवा फहराया। 2019 में भी छेदी पासवान और मीरा कुमार में टक्कर हुई और इस बार भी बाजी छेदी पासवान ने मारी और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।
सासाराम सीट का इतिहास
बाबू जगजीवन राम जब तक जीवित रहे सासाराम लोकसभा सीट पर उनका एकछत्र राज रहा। 1952 से लेकर 1984 तक हुए सभी चुनावों में सासाराम से एक ही शख्स विजयी रहा-बाबू जगजीवन राम, भले ही अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़ा। उनकी जीत का सिलसिला तभी थमा, जब उनकी सांसें थमीं। फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और इस बार बीजेपी के शिवेश राम मैदान में हैं जो सासाराम से 1996, 1998 और 1999 में कमल खिलानेवाले मुनीलाल के पुत्र हैं।
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सासाराम लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। जिनमें मोहनिया, भभुआ और चैनपुर कैमूर जिले में हैं जबकि चेनारी, सासाराम और करगहर रोहतास जिले में हैं। इन सभी 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि चैनपुर सीट से जेडीयू के जमा खान विधायक है। जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर 22 फीसदी सवर्ण मतदाता हैं। इसके अलावा 15 फीसदी कुशवाहा और 20 फीसदी दलित मतदाता है।
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सासाराम लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव की तरह ही बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। हालांकि दोनों पार्टियों के प्रत्याशी बदल गए हैं। 2019 में जीत दर्ज करनेवाले छेदी पासवान की जगह बीजेपी ने शिवेश राम को मैदान में उतारा है। मीरा कुमार के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद कांग्रेस ने बीएसपी से आए मनोज कुमार पर दांव खेला है। मनोज कुमार पिछले चुनाव में बीएसपी के कैंडिडेट के रूप मे 86 हजार से ज्यादा वोट लाने में सफल रहे थे। ऐसे में इतना तय है कि सासाराम में मुकाबला कड़ा रहने वाला है।