बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में निरीक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा शुरू की गई हर रोज स्कूल निरीक्षण की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। नई व्यवस्था में अब सप्ताह में सिर्फ तीन दिन ही स्कूलों का निरीक्षण होगा।
नई निरीक्षण व्यवस्था में क्या बदलाव होंगे?
- पहले हर रोज होने वाले निरीक्षण को खत्म कर दिया गया है।
- अब हर जिले में उप विकास आयुक्त (डीडीसी) निरीक्षण व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होंगे।
- डीडीसी शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को 3-3 महीने के लिए 10 से 15 स्कूलों का निरीक्षण कार्य सौंपेंगे।
- हर तीन महीने में निरीक्षकों और उनके जिम्मे वाले स्कूलों का रोस्टर बदल दिया जाएगा।
- निरीक्षकों को अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर जमा करनी होगी।
निरीक्षण के दौरान किन बातों पर ध्यान दिया जाएगा?
- शिक्षकों की समय पर उपस्थिति
- विषय के अनुसार शिक्षकों की तैनाती
- कक्षाओं का संचालन समय सारिणी के अनुसार होना
- शिक्षण विधियों का निरीक्षण
- छात्रों के गृहकार्य और परीक्षाओं का मूल्यांकन
- अभिभावक-शिक्षक बैठक का आयोजन
- स्कूल में नामांकित छात्रों की उपस्थिति
- नियमित रूप से स्कूल नहीं आने वाले छात्रों के अभिभावकों से संपर्क
- मध्यान्ह भोजन, पेयजल, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता
क्या नई व्यवस्था से फायदा होगा?
- नियमित निरीक्षण से स्कूलों में सुधार की उम्मीद।
- शिक्षकों में जवाबदेही बढ़ने से वे समय पर स्कूल आ सकते हैं।
- छात्रों की उपस्थिति में सुधार की संभावना।
क्या नई व्यवस्था में कोई चिंता है?
- सप्ताह में सिर्फ तीन दिन के निरीक्षण से स्कूलों की व्यवस्था बिगड़ सकती है।
- एक निरीक्षक को 15 स्कूलों का निरीक्षण करने का बोझ ज्यादा हो सकता है।
- निरीक्षण के दौरान पाए जाने वाली कमियों पर कार्रवाई न होने से सुधार प्रभावित हो सकता है।