भीषण गर्मी और हीटवेव के प्रकोप से मगध प्रमंडल के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। इस तपिश में कई लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं, जिनमें से कुछ को इलाज के लिए गया के मगध मेडिकल अस्पताल लाया जा रहा है।
लेकिन, इस अस्पताल में मरीजों के प्रति लापरवाही की हदें पार हो गई हैं। स्ट्रेचर की भारी कमी के कारण मरीजों को एंबुलेंस से उतारकर वार्ड तक लाने के लिए लॉबी में लगी कुर्सियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कल्पना कीजिए, 45 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक तापमान में, हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीज को लॉबी की कुर्सी पर लिटाकर वार्ड तक ले जाया जा रहा है। इस अमानवीय व्यवस्था से मरीजों की पीड़ा तो बढ़ ही रही है, साथ ही उनके परिजन भी गुस्से से भरे हुए हैं।
बीते 24 घंटे में ही 50 से अधिक हीट वेव के मरीज इस अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इनमें से एक मरीज की इलाज के दौरान मौत भी हो चुकी है। इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या स्ट्रेचर की कमी के कारण ही मरीज की जान चली गई? क्या समय पर इलाज मिल पाता तो उसकी जान बच सकती थी?
विधायक ने जताई नाराजगी:
इस अव्यवस्था को लेकर विधायक विनय कुमार यादव ने भी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मगध प्रमंडल का यह इकलौता अस्पताल है, जहां गया के अलावा, औरंगाबाद, रोहतास, नवादा और जहानाबाद जिले से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं।
लेकिन, अस्पताल में स्ट्रेचर और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इस लापरवाही के लिए अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है और जल्द से जल्द सुधार की मांग की है।
क्या है समाधान?
यह घटना मगध मेडिकल अस्पताल और बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
- तत्काल स्ट्रेचर की व्यवस्था: सबसे पहले, अस्पताल में स्ट्रेचर की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
- अस्पताल में सुविधाओं का विकास: मरीजों के इलाज के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं को बेहतर बनाया जाना चाहिए।
- कर्मचारियों की जवाबदेही: लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।