लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान तेज हो गया है। नेता मंत्री लोग जनता के बीच पहुंच सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं और प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे । लेकिन नीतीश सरकार के मंत्री डॉ अशोक चौधरी को भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगना महंगा पड़ गया। दरअसल, अशोक चौधरी को शनिवार को बरबीघा के सामस बुजुर्ग गांव में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। आक्रोशित लोगों ने मंत्री के विरोध में मुर्दाबाद के नारे भी लगाये।
संयोग से शनिवार को ही एनडीए प्रत्याशी के लिए मंत्री अशोक चौधरी गांव-गांव जनसंपर्क अभियान चला रहे थे। इस दौरान जब वह गांव पहुंचे तो सैकड़ो की संख्या में लोगों ने उनका कड़ा विरोध किया। कहा जा रहा है कि लोगों के विरोध के बाद मंत्री जी को चंद मिनट में ही गांव से वापस लौटना पड़ गया। विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री अशोक चौधरी बेवजह गांव के उप मुखिया और उसके भाइयों की बातों में आकर सामाजिक कार्यों में हस्तक्षेप करते रहते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि 6 दिन पहले गांव वालों ने बैठक करके सामस विष्णु धाम मंदिर के बगल में स्थित बड़े तालाब से रेलवे को मिट्टी देने के लिए सामाजिक स्तर पर निर्णय लिया था। मिट्टी के बदले रेलवे से मिलने वाला लाखों रुपया मंदिर के निर्माण कार्य में खर्च किया जाना था। शनिवार को रेलवे के ठेकेदार मिट्टी निकालने के लिए गांव पहुंचे। इस दौरान गांव के मुखिया तथा उनके भाई ने इसका विरोध कर दिया। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब गांव वालों ने उप मुखिया की बात नहीं मानी तब उन्होंने मंत्री अशोक चौधरी के जरिए जिलाधिकारी को फोन करवाके काम रुकवा दिया। काम रुकने की वजह से मंदिर को लाखों का नुकसान हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि अशोक चौधरी के गांव आने की सूचना दिन में ही लग गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने तत्काल दिन में भी उनके गांव में आने का विरोध किया था। फिर शाम में जब वह गांव में आये तब फिर लोगों ने उनका विरोध किया। हालांकि लोगों के विरोध को दबाने के लिए पुलिस ने गांव वालों को खदेड़ा भी लेकिन विरोध इतना हो गया था कि अशोक चौधरी को जनसंपर्क अभियान को स्थगित कर वापस लौटना पड़ गया।