सारण शराबकांड में बिहार की सियासत को तेज कर दिया है। विपक्ष पूरी तरह हमलावर है और सरकार डिफेंसिव मोड में चली गई है। सरकार के डिफेंस को अटैक में बदलने की सीएम नीतीश कुमार की कोशिश बैकफायर कर गई। विधानसभा में शराबकांड पर सफाई देने के दौरान चीखते नीतीश कुमार मुआवजे को लेकर कुछ ऐसा कह गए कि उनके अपने ही उन्हें बेदर्द और बेरहम बताने लगे। लेकिन अब सारण शराबकांड में कड़ा एक्शन होने के संकेत मिल रहे हैं। एक तरफ NHRC की टीम का सारण दौरा हुआ है। तो दूसरी ओर नए DGP आरएस भट्टी ने सारण के पुलिस पदाधिकारियों को रडार पर ले लिया है।
नीतीश जो चाहते हैं उन्हें मिलने लगा, लेकिन लग गया सबकुछ दांव पर
एक्शन के मूड में DGP
बिहार के नए DGP आरएस भट्टी के पदभार लेते ही उन पर सबसे बड़ी चुनौती सारण शराबकांड के तार्किक समापन की है। इस कांड में उंगलियां सीधे पुलिस प्रशासन पर उठी हैं और आगे भी उठती रहेंगी। साथ ही शराबबंदी कानून को लागू करा पाने में विफलता का ताज भी पुलिस प्रशासन के उपर ही सजता है, जिसे DGP भट्टी बखूबी समझते हैं। इसलिए उन्होंने आते ही कड़े एक्शन की शुरुआत सारण से की है। उन्होंने सारण पुलिस से जिले के टॉप 10 अपराधियों की सूची बनाकर रिपोर्ट भेजने का आदेश जारी किया है।
75 से ज्यादा लोगों की जा चुकी है जान
शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब मिलनी आम बात है। जहरीली शराब के किस्से भी लोगों की जेहन में बरकरार रहते हैं। क्योंक एक खत्म नहीं होता तो दूसरा कांड हो जाता है। सारण शराबकांड में तो 75 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सरकार कह चुकी है कि वह मुआवजा नहीं दिया जाएगा। ऐसे में विपक्ष और जनता दोनों में आक्रोश है। इसे कंट्रोल करना भी आरएस भट्टी के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं शराबबंदी को विफल करने वालों को काबू करना DGP की प्राथमिकता में होगा।