बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के जोड़ी वाली सरकार को चार माह हो चुका है। इस सरकार के बनते ही तेजस्वी यादव ने नौकरियां देने का अपना वो संकल्प कई बार दुहराया, जो उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान लिया था। सीएम नीतीश कुमार भी पीछे नहीं रहे। तेजस्वी के 10 लाख नौकरियां देने के दावे में 10 लाख रोजगार का दावा जोड़ कर 20 लाख का आंकड़ा बना दिया। लेकिन पिछले 4 महीनों में धड़ाधड़ नियुक्ति पत्र बांटने वाली नीतीश कुमार और तेजस्वी की जोड़ी को CMIE की रिपोर्ट ने झटका दे दिया है।
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बिहार में हर 5वां व्यक्ति बेरोजगार?
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बिहार में बेरोजगारी 19.1 प्रतिशत हो गई है। यानि बिहार का हर वो पांचवा व्यक्ति बेरोजगारी की श्रेणी में आ गया है, जो जॉब ढूंढ़ रहा है या कर सकता है। यह आंकड़ा नीतीश सरकार के सबको रोजगार देने का दावे को मुश्किल में ला रहा है। इससे निबटना नीतीश व तेजस्वी यादव की सरकार के लिए परेशानी से भरा हो सकता है। क्योंकि शराबबंदी के मामले पर घिरी बिहार सरकार को भाजपा रोजगार के मुद्दे पर भी घेरेगी।
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हरियाणा में बेरोजगारी टॉप पर
वैसे CMIE की रिपोर्ट में बिहार की बेरोजगारी चौथे पायदान पर है। सबसे अधिक 37.1 प्रतिशत बेरोजगारी हरियाणा में है। जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान है, जहां बेरोजगरी 28.5 प्रतिशत है। तीसरे नंबर पर दिल्ली में बेरोजगारी 20.8 प्रतिशत है। वहीं बिहार का पड़ोसी झारखंड बेरोजगारी में पांचवे नंबर पर है। यहां 18 फीसदी बेरोजगारी है।
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आंकड़ों में भाजपा के लिए खुशखबरी
भारत में मुद्दों के राजनीतिकरण की आदत पुरानी है। बेरोजगारी के मुद्दे पर भी राजनीति होती रही है। लेकिन CMIE के हालिया आंकड़े बैलेंसिंग है। भाजपा के लिए इसमें खुशी के मौके अधिक हैं। क्योंकि जिन पांच राज्यों में सबसे अधिक बेरोजगारी है, उनमें भाजपा शासित सिर्फ एक प्रदेश है। जबकि कम बेरोजगारी वाले टॉप 5 राज्यों में से ओड़िशा को छोड़कर सभी चार राज्य भाजपा शासित हैं।
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कम बेरोजगारी वाले प्रदेश
- ओडिशा : 0.9 प्रतिशत
- गुजरात : 2.3 प्रतिशत
- कर्नाटक : 2.5 प्रतिशत
- मेघालय : 2.7 प्रतिशत
- महाराष्ट्र : 3.1 प्रतिशत