बिहार की राजनीति में शहाबुद्दीन जब तक सक्रिय रहे या फिर जिंदा रहे, राजद से उनकी दूरी कभी नहीं हुई। तमाम परिस्थितियां आईं, जिसमें शहाबुद्दीन पहले चुनावी प्रक्रिया से बाहर हुए और फिर जेल ही उनका घर बना। लेकिन सभी परिस्थितियों में न शहाबुद्दीन ने राजद को छोड़ा और न ही राजद ने उन्हें। लेकिन उनकी मौत के बाद पत्नी हिना शहाब ने राजद से दूरी बना ली। राजद की ओर से भी लालू यादव या तेजस्वी यादव ने सार्वजनिक तौर पर हिना शहाब को मनाने की कोई पहल नहीं की। लेकिन अब शहाबुद्दीन की अगली पीढ़ी यानि उनके बेटे ओसामा की राजद से नजदीकियां बढ़ रही हैं। हालांकि इन नजदीकियों से तेजस्वी के उन अपनों के नाराज होने की भी खबर है, जो हिना शहाब की राजद में गैरमौजूदगी में सीवान में राजद का चेहरा बने थे।
दरअसल, पिछले माह यानि अगस्त 2024 में हिना शहाब पटना आईं थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान हिना शहाब की मुलाकात लालू यादव और तेजस्वी यादव से हुई थी। यह मुलाकात एमएलसी विनोद जायसवाल के घर हुई थी। लगभग घंटे भर चली इस मुलाकात के बारे में यह चर्चा चल रही है कि हिना शहाब और लालू यादव के बीच अब नाराजगी दूर हो गई है। इस मुलाकात में विनोद जायसवाल की अहम भूमिका बताई जाती है, जिनका पुत्र और तेजस्वी की करीबी भी बताया जाता है। यही नहीं विनोद जायसवाल का पुत्र तेजस्वी यादव के साथ विदेश दौरे पर भी साथ रहा है। जबकि लालू यादव अभी सिंगापुर गए तो भी साथ था। विनोद जायसवाल के पुत्र की दोस्ती ओसामा से भी है और लालू परिवार के साथ शहाबुद्दीन परिवार के करीबी होने की एक कड़ी यह भी है।
अब सवाल उठता है कि लालू यादव या तेजस्वी यादव को आखिरी शहाबुद्दीन की जरुरत क्यों है। इसका जवाब बीते लोकसभा चुनाव में सीवान और सारण सीट का नतीजा बताता है। शहाबुद्दीन परिवार की राजद से दूरी का असर गोपालगंज के विधानसभा उपचुनाव का नतीजा भी बताता है। लोकसभा चुनाव में लालू यादव की बैकस्टेज वर्किंग और तेजस्वी यादव की ग्राउंड वर्किंग के बावजूद सारण सीट पर रोहिणी आचार्य महज 13,661 वोटों से हार गईं। हिना ने सारण सीट पर लालू परिवार और राजद को कैसे झटका दिया है, इसका आंकलन उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या देखने पर पता चलता है। सारण में चौथे नंबर पर शेख नौशाद रहे थे, जिन्हें 16,103 वोट मिले। मुसलमानों के एक वर्ग में राजद के लिए नाराजगी के बीज तब पड़ गए जब सीवान में राजद ने हिना शहाब को टिकट नहीं दिया। संभवत: यही कारण रहा है कि हिना शहाब को इग्नोर करने का असर सारण सीट पर भी पड़ा और रोहिणी आचार्य 13,661 वोटों से हार गईं।
सारण सीट पर तो हिना शहाब की राजद से दूरी का परोक्ष असर पड़ा था। लेकिन सीवान में तो हिना शहाब के कारण ही राजद हारी। बात अगर सीवान सीट की करें तो हिना शहाब भले ही जदयू की विजयलक्ष्मी देवी से हार गईं लेकिन राजद के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। सीवान में अगर राजद को सिर्फ 1.98 लाख वोट मिले और निर्दलीय हिना शहाब को 2.93 लाख वोट मिले तो इसका साफ मतलब है कि मुसलमानों ने सीवान में राजद को नकार कर हिना का साथ दिया है। साथ ही हिना को उन वर्गों का भी साथ मिला है जो जदयू और राजद दोनों के उम्मीदवारों से नाखुश होंगे।
यही नहीं 2022 में गोपालगंज में हुए उपचुनाव में भी हिना शहाब के एआईएमआईएम उम्मीदवार को परोक्ष रूप से समर्थन देने की बात सामने आई थी। उस चुनाव में भी राजद को बहुत कम अंतर से हार मिली थी। सारण प्रमंडल में हार के सिलसिले को थामने के लिए लालू यादव ने हिना शहाब को अपनी पक्ष में करने की पहल की है। यह पहल कितनी कारगर होगी, यह तो आने वाला वक्त बताया गया। लेकिन इस पहल का एक तात्कालिक असर यह हुआ है कि सीवान से लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़े अवध बिहारी चौधरी इस नजदीकी से खुश नहीं है। हालांकि लालू व शहाबुद्दीन परिवार के नजदीकियों की तरह अवध बिहारी चौधरी की नाराजगी अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।