शिक्षा विभाग और राजभवन में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है शिक्षा विभाग द्वारा कुलपतियों और कुलसचिवों और एग्जाम कंट्रोलर का वेदन बंद किए जाने को लेकर राजभवन की ओर से पत्र जारी कर जवाब मांगा गया है। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ड एल चोंग्थू ने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि आठ मार्च को डिप्टी सीएम, शिक्षा मंत्री और आपकी उपस्थिति में फैसला हुआ था कि 28 फरवरी को विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों को भेजी गयी चिट्टी को वापस लिया जाएगा लेकिन अभी तक इस संबंध में राज्यपाल को कोई जानकारी नहीं दी गयी है। इसलिए बतायें कि उक्त निर्णय के आलोक में शिक्षा विभाग की तरफ से क्या कार्रवाई की गयी है।
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के के पाठक ने बंद किया था कुलपतियों का वेतन
शिक्षा विभाग ने 28 फरवरी को पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों का वेदन बंद किया था। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया था। इसके दो दिन बाद शिक्षा विभाग ने सभी कुलपतियों और कुलसचिवों पर केस दर्ज करने का आदेश भी जारी किया था। जिसके बाद राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच विवाद बढ़ गया।
8 मार्च को राजभवन में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के समक्ष उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की उपस्थिति में शिक्षा विभाग के आदेश को वापस लेने का निर्णय लिया गया था हालांकि शिक्षा विभाग की तरफ से इसको लेकर राजभवन को कोई जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसे में राजभवन ने शिक्षा विभाग से जवाब-तलब किया है कि राज्यपाल सह कुलाधिपति के समक्ष उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में लिये गये निर्णय के मुताबिक 28 फरवरी के आदेश को अभी-तक वापस लेने की कोई जानकारी क्यों नहीं दी गयी है।