बिहार में नीतीश कुमार जब से मुख्यमंत्री बने हैं, उनके पास महिलाओं की भलाई के लिए गिनाने वाले कामों की कमी नहीं है। महिलाओं से जुड़ा कोई कार्यक्रम हो तो, सीएम थकते नहीं कि उनकी सरकार ने महिलाओं के विकास के लिए ये किया, वो किया। लेकिन इसी सरकार में एक युवती रो-रो कर अपना बयान दे रही है कि इस सिस्टम से वो त्रस्त हो चुकी है। इस सिस्टम की फुर्ती बस महिलाओं को परेशान करने की रही है। लड़की यह भी कह रही है कि महिलाओं के विकास के सारे सरकारी दावे और वादे झूठे हैं, फरेब है। सच बस इतना है कि ये बिहार है, जहां महिलाओं की औकात बस किचन तक सीमित रहने की है….
महिला हूं इसलिए चुभती हूं : प्रियंका
प्रियंका चाय का बिजनेस करना चाहती है। इसने भी रोड पर अपना कार्ट लगा दिया। लेकिन नगर निगम के बार बार उसे अवैध करार देने के कारण प्रियंका अब हताश हो चुकी है। वो रो रही है, बेबस है और आगे बढ़ने के जो ख्वाब उसने देखे थे, उन्हें सड़कों पर बिखरते देखना प्रियंका को हताश कर गया है। ये दर्द, ये शिकायत, ये बेबसी अब प्रियंका को हताश कर रही है। हताशा में प्रियंका ने जो सरकार की पोल खोली है, कानून व्यवस्था को आइना दिखाया है। प्रियंका ने बताया कि नगर निगम को उसका कार्ट बार बार दिख जाता है जबकि उसे कमिश्नर से कुछ दिनों तक कार्ट लगाने की अनुमति मिली हुई है। लेकिन पूरे पटना में अवैध कार्ट लगे रहते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं करता। यही नहीं प्रियंका ने यह भी कहा कि खुलेआम शराब की बिक्री हो रही है, जिसे कोई रोक नहीं सका है। लेकिन जैसे ही वो अपना कार्ट लगाती है, नगर निगम और सिस्टम की आंखों में वो चुभ जाती है क्योंकि वो महिला है।
‘किचन तक महिलाओं की औकात’
प्रियंका आगे कहती है कि ये बिहार है और यहां महिलाओं की औकात सिर्फ किचन तक रहने की है। वैसे Insider Live ये बिल्कुल नहीं कहता कि नीतीश कुमार की सरकार का इसमें दोष है कि वो अवैध ठेले को मंजूरी नहीं दे रही। लेकिन एक सच तो ये भी है कि सीएम नीतीश कुमार जिस महिला उद्यमी योजना समेत तमाम योजनाओं की सूची गिनवाते नहीं थकते क्या वैसी किसी योजना में इस स्वघोषित ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका की जगह नहीं है? अगर नहीं है तो किस काम की योजना और अगर है तो किस काम का सिस्टम जो सिर्फ पॉलिसी बनाता है। इम्प्लीमेंट करने में उसका नाकारापन और निकम्मापन सामने आ जाता है।
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