भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का पोलित ब्यूरो ने मुहर्रम जुलूस के दौरान फलस्तीनी झंडे लहराने के लिए लोगों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग की है। बताया गया है कि बीजेपी और वीएचपी नेताओं की शिकायतों पर ये मामले जम्मू-कश्मीर, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कड़ी धाराओं के तहत दर्ज किए गए थे।
इधर में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने हाल के दिनों में बिहार सहित देश के अन्य हिस्सों में फलस्तीनी झंडे लहराने पर लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हम बिहार और देश के अन्य हिस्सों में फलस्तीनी झंडा लहराने वालों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की मांग करते हैं।
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भारत ने फलस्तीन को मान्यता दी है और यह नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में भी जारी है। इसलिए उन लोगों पर कोई गलत काम करने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों में पूरे बिहार में फलस्तीनी झंडा फहराने की कम से कम चार घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बुधवार को निकाले गए मुहर्रम के जुलूस की भी घटना शामिल है। भाकपा-माले नेता ने कहा कि फलस्तीनी झंडे गाजा के लोगों के प्रति एकजुटता दर्शाने के संकेत के रूप में लहराए जा रहे हैं जहां इजरायल सैन्य कार्रवाई में करीब दो लाख लोगों की जान चली गई है। भारत कभी भी फिलिस्तीन का समर्थन करने से पीछे नहीं हटा है। यही कारण है कि नयी दिल्ली में फलस्तीन का दूतावास मौजूद है।