पटना हाईकोर्ट मतलब पीढ़ियों को फैसले के लिए लड़ना होगा। तारीख पर तारीख इतनी मिलेगी की दूसरी से तीसरी पीढ़ी तक एक केस को लड़ती रहेगी। यह आंकड़े बताते हैं।
34 साल से दीवानी मामलों की सुनवाई नहीं हो रही
पटना हाईकोर्ट में पिछले 34 साल से दीवानी मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है। एक सुनवाई हुई भी तो तकनीकी मासलों पर। ज्यादातर केस 30-40 साल से पेंडिंग हैं। एक फर्स्ट अपील 49 साल से पेंडिंग है। यही हाल क्रिमिनल अपील का भी है। 1996 के बाद दायर क्रिमिनल अपील की सुनवाई करीब-करीब बंद ही है। जब कभी सुनवाई का समय आता है तो अपीलकर्ता ही दुनिया से जा चुका होता है। ऐसे में दूसरी और तीसरी पीढ़ी केस लड़ रही है।
आपराधिक 1.05 लाख और सिविल 1.08 लाख केस लंबित
पटना हाईकोर्ट में फिलहाल लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। आपराधिक पेंडिंग केसों की संख्या 1.05 लाख और सिविल 1.08 लाख केस लंबित हैं। फर्स्ट और सेकेंड अपील के छह हजार केस लंबित हैं।
सेकंड अपील का सबसे पुराना मामला 1988 से पेंडिंग
पटना हाईकोर्ट में सेकेंड अपील का सबसे पुराना मामला 1988 से पेंडिंग है। फूलमती देवी और रघिया देवी के बीच संपत्ति बंटवारे का केस है। पहली पीढ़ी के कई लोग दुनिया से गुजर गए। दूसरी पीढ़ी केस लड़ रही है, लेकिन केस के मेरिट पर सुनवाई अब तक नहीं हुई है। 26 नवंबर 2021 को मृतक की जगह नए प्रतिवादियों को नोटिस भेजा गया है।
बाप के बाद बेटे को भी न्याय नहीं
दूसरा मामला 1988 का ही है। इसमें राजनंदन सिंह अन्य और लक्ष्मण सिंह का केस है। संपत्ति विवाद है। इसमें दो अपीलकर्ता दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। इनके निधन के बाद पत्नी और बेटे-बेटी केस लड़ रहे हैं। इस दूसरी पीढ़ी को भी न्याय की बहुत उम्मीद नहीं है। केस की सुनवाई अब भी लंबित है।
53 की जगह 27 जज ही
पटना हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 53 हैं। इनमें से 26 पद खाली हैं। सिर्फ 27 जजों के बूते हाईकोर्ट के सभी केसों का भार है। इस साल दो और जज रिटायर हो जाएंगे। यानी संख्या घटकर 25 रह जाएगी। बता दें 2015 में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 43 से बढ़ाकर 53 की गई है।