बिहार के चंपारण क्षेत्र में बाघों के हमलों से दहशत का माहौल है। हाल ही में रक्सौल के पास नेपाल के इलाके में एक बुजुर्ग पर बाघ ने हमला कर दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है।
बताया जा रहा है कि मृतक बुजुर्ग शुक्रवार की शाम घास काटने के लिए जंगल में गए थे, लेकिन जब वे वापस नहीं लौटे, तो शनिवार को उनका क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ। पुलिस ने इस घटना को बाघ के हमले का परिणाम बताया है।
इसी तरह, नेपाल के पर्सा जिले के जीराभवानी गांवपालिका के वार्ड नंबर 5 में भी एक बाघ ने 60 वर्षीय तुलसी राउत थारू पर हमला कर दिया। स्व. थारू शुक्रवार शाम घास काटने के लिए नजदीकी जंगल में गए थे, लेकिन देर रात तक घर नहीं लौटने पर उनके परिजनों ने शनिवार को उनकी तलाश शुरू की। तलाश के दौरान सुबह सुगीभार के समीप जंगल में उनका शव बुरी तरह क्षत-विक्षत अवस्था में मिला।
पुलिस कार्यालय पटेरवा सुगौली के इंस्पेक्टर मोहनजंग बुढा थापा ने बताया कि बाघ ने मृतक पर हमला करने के बाद उनके दाएं पैर और बाएं हाथ को खा लिया था। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए वीरगंज के नारायणी अस्पताल भेजा गया, जिसके बाद मृतक का शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया। इस घटना ने इलाके में बाघ के खौफ को और बढ़ा दिया है, जिससे स्थानीय लोग डरे हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती आबादी के कारण वन क्षेत्र घट रहा है और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास खत्म हो रहा है। जिसके कारण वे मानव बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं। यह घटनाएं वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे को एक बार फिर उजागर करती हैं। वन विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे