बिहार चाचा-भतीजा की राजनीति के लिए बड़ा ही फेमस है। एक कथित चाचा- भतीजा की जोड़ी बिहार की सत्ता पर काबिज है। वही दूसरी चाचा-भतीजा जोड़ी के बीच राजनीतिक विरासत की दिवार खड़ी है। ये जोड़ी कोई और नहीं बल्कि चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस की है। दोनों ही दिवंगत नेता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को लेकर आपस में टकराते रहते हैं। दोनों एक-दूसरे को कमजोर करने का एक भी मौका छोड़ते नहीं है। यही कारण है कि लोजपा दो खेमों में बट चुकी है। हालांकि लोजपा में टूट के वक्त चाचा पशुपति पारस भतीजे चिराग पासवान पर भारी पड़े। वो कैसे ये आगे बताएँगे। लेकिन अब ऐसा लगता है कि चिराग पासवान भी चाचा पशुपति पारस को गच्चा देने की प्लानिंग में है।
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चाचा के किले में सेंधमारी की तैयारी में चिराग
दरअसल पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा के सांसद महबूब अली कैसर और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की मुलाकात की तस्वीर सामने आई है। सांसद महबूब अली कैसर अपने बेटे और राजद विधायक यूसुफ सलाउदीन के साथ आज चिराग पासवान से मिलने पहुंचे। दोपहर करीब 12 बजे चिराग पासवान के पटना स्थित आवास पर ये मुलाकात हुई। बंद कमरे में काफी देरी तक उनलोगों की बातचीत हुई। इस मुलाकात को लेकर तरफ-तरफ के सियासी अटकलें लगाए जा रहे हैं। इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या महबूब अली कैसर पशुपति पारस को छोड़ चिराग के साथ आएंगे? क्या उनके बेटे यूसुफ सलाउदीन राजद का दामन छोड़ चिराग के साथ खड़े होंगे? क्या चिराग पासवान, चाचा पशुपति पारस के किले में सेंधमारी करने की तैयारी में है?
पार्टी में टूट के वक्त चाचा ने दिया था गच्चा
दिवंगत नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो खेमों में टूट गई। पशुपति पारस के गुट को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और चिराग पासवान के गुट लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) का नाम मिला। पार्टी में टूट के वक्त कोई भी सांसद चिराग के गुट में शामिल नहीं हुए। सभी पशुपति पारस के खेमें में चले गए। फिलहाल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी में पशुपति पारस समेत कुल 5 सांसद है। जिसमें पशुपति पारस के भतीजे प्रिंस राज, महबूब अली कैसर , चंदन सिंह, वीणा देवी का नाम शामिल है। वही लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) में एक अकेला चिराग ही सांसद हैं। पार्टी टूटने के समय तो अपने राजनीतिक अनुभव के दम पर पशुपति पारस, चिराग पासवान को गच्चा देने में कामयाब रहे थे। लेकिन अब चिराग की तरफ से भी जवाब देने की तैयारी की जा रही है।
महबूब अली कैसर का पारस से मोहभंग?
बता दें कि महबूब अली कैसर ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा के टिकट पर खगड़िया से जीत हासिल की। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपना झंडा बुलंद रखा और फिर से सांसद चुने गए। लेकिन रामविलास पासवान के निधन के बाद जब राजनीतिक विरासत की लड़ाई पशुपति पारस और चिराग पासवान में छिड़ी तो उन्हें भी एक पक्ष चुनाना था। उस वक्त वो चिराग पासवान के साथ खड़े ना होकर पशुपति पारस के गुट में शामिल हो गए। काफी समय के बाद ही सही चिराग पासवान से हुई उनकी मुलाकात को पशुपति पारस से हुए मोहभंग के रूप में देखा जा रहा है।