जनता दल यूनाइटेड नंबर 1 पार्टी नहीं बन रही है। यह लगातार कमजोर हो रही है। इसे मजबूत करने की गंभीर कोशिश नहीं हो रही है। यह भाजपा का आरोप नहीं है, बल्कि यह स्वीकारोक्ति है जदयू के पार्लियामेंटरी बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की। अब उपेंद्र कुशवाहा की इन बातों का पूरा मतलब समझने की कोशिश करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वे ललन सिंह और नीतीश कुमार से नाखुश हैं। ललन सिंह से नाखुशी का कारण उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी पार्टी की कमजोरी है। जबकि नीतीश कुमार तो जदयू के वैसे नेता हैं, जो किसी भी पद से उपर हैं। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा दोनों के राजनीतिक और सांगठनिक रवैए से नाखुश हैं।
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किनारे लगने का दर्द झेल रहे कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने वरिष्ठ पत्रकार मधुरेश सिंह को दिए इंटरव्यू में कहा है कि 2 साल पहले अपनी पार्टी ‘रालोसपा’ का जदयू में सिर्फ इसलिए विलय किया ताकि समाजवाद, सामाजिक न्यायकी धारा मजबूत हो जाए। हमारा इकलौता अरमान जदयू को नंबर 1 पार्टी बनाना है। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा जदयू नेतृत्व के रवैए से निराश दिख रहे हैं। उन्हें इस बात की आशंका है कि पार्टी विलय के उनके बलिदान के बावजूद उन्हें किनारे लगा दिया गया है। क्योंकि वे आगे कहते हैं कि मैं वो खिलाड़ी हूं, जिसे 2 साल से पैवेलियन में बिठाकर रखा गया है।
…तो भाजपा की बात सच हो जाएगी : उपेंद्र
बिहार में महागठबंधन सरकार में जदयू और राजद के बीच की खींचतान से भी उपेंद्र कुशवाहा हताश लग रहे हैं। वे ठीक होने की उम्मीद तो जता रहे हैं लेकिन उम्मीद से अधिक उनकी बातों पर आशंकाएं हावी हैं। सवाल आता है कि भाजपा के नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार पर राजद विधायकों का हमला लालू यादव के कहने पर हो रहा है। ताकि तेजस्वी यादव जल्दी से बिहार के सीएम बन जाएं। पहले तो उपेंद्र कुशवाहा इंटरव्यू में इस बात को नकार देते हैं। लेकिन अगले ही पल ये भी कह देते हैं कि नीतीश कुमार के खिलाफ सुधाकर सिंह जैसे विधायकों के बयान आने के बाद भी राजद के इन नेताओं पर कार्रवाई में देरी हुई, तो लोगों को भाजपा की इस बात पर भरोसा होने लगेगा।
2025 पर जवाब नहीं, बस 2024 की तैयारी
वैसे तमाम आशंकाओं, निराशा, नाखुशी और हताशा के बाद भी उपेंद्र कुशवाहा इंटरव्यू के समापन में जदयू के प्रति अपनी निष्ठा जता देते हैं। सवाल आता है कि तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी मान लिया गया है। फैसला हो चुका है कि महागठबंधन उन्हीं के नेतृत्व में 2025 का चुनाव लड़ेगा। इस मामले में उपेंद्र कुशवाहा साफ कह देते हैं कि उनके सामने अभी सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनाव का टारगेट है। 2025 या दूसरी सभी बातें आगे की बात है।