शराबबंदी कानून एक ऐसा मुद्दा बना गया जो समय-समय पर नीतीश कुमार के खिलाफ उपयोग में लाया जाता रहा है। इस को लेकर कभी विरोधी तो कभी उनके अपने ही सवाल खड़ा करने लगते हैं। पिछले कुछ समय से ये मुद्दा शांत पड़ा हुआ था। लेकिन आज बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही एक बार फिर से ये मुद्दा गरमा उठा। इसबार विपक्ष नहीं बल्कि सत्ता पक्ष की तरफ से इस मुद्दे पर सरकार को घेरा गया है। महागठबंधन के घटक दल माले के विधायक महबूब आलम ने आज शराबबंदी कानून को लेकर सरकार खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
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शराबबंदी के तहत गिरफ्तार गरीबों को रिहा करने की मांग
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही माले विधायक महबूब आलम ने शराबबंदी कानून के कारण गरीबों की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत जितने गरीब लोग जेल में बंद है सरकार को उन्हें रिहा कर देना चाहिए। उनकी इस मांग के बाद राजद विधायक भाई बिरेन्द्र सरकार के बचाव में उतरे। उन्होंने माले विधायक महबूब आलम की बातों का जवाब देते हुए कहा कि सदन में विभागीय मंत्री नहीं है जब वह आएंगे तो इस पर आप सवाल कीजिएगा फिलहाल दूसरे मुद्दे पर आप बात कीजिए।
पहले भी सरकार पर लग चुके हैं आरोप
बता दें कि ये आरोप कई बार बिहार सरकार पर लगाया जा चुका है कि शराबबंदी कानून से सबसे ज्यादा प्रताड़ित गरीब वर्ग के लोग हुए हैं। विपक्ष के नेताओं से लेकर सत्ता में साझेदार दल के नेता भी ये आरोप बिहार सरकार पर लगा चुके हैं। इसमें सबसे आगे नाम हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(सेकुलर) के संरक्षक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का है। उन्होंने कई बार ये कहा है कि शराबबंदी कानून के तहत ज्यादतर गरीब लोगों पर कार्रवाई की जा रही है। वहीं अब माले विधायक महबूब आलम का भी नाम ये आरोप लगाने वालों की लिस्ट में जुड़ गया है।