बिहार में महिलाओं की चुनावी भागीदारी लगातार राजनीतिक समीकरण बदल रही है। राज्य निर्वाचन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि भले ही पुरुष वोटरों की संख्या अधिक हो, लेकिन मतदान में महिलाओं की भागीदारी उनसे कहीं आगे है। पिछले विधानसभा चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.58 रहा, जो पुरुषों के 54.90 प्रतिशत से 4.68 प्रतिशत अधिक है। यह बढ़त सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि चुनावी नतीजों पर गहरा असर डालती है। महिला वोटरों की इसी निर्णायक भूमिका को भांपते हुए राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों में बदलाव कर रहे हैं।
महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए हाल ही में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने माई-बहिन-मान योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया है। इसे आगामी विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों को लुभाने की बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, महिला वोटर अब चुनावी राजनीति में गेमचेंजर साबित हो रही हैं। 2019 और 2024 के चुनावी आंकड़े भी यह दिखाते हैं कि महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है। यह ट्रेंड बिहार में राजनीतिक दलों को महिलाओं को केंद्र में रखकर योजनाएं बनाने के लिए मजबूर कर रहा है।
तेजस्वी यादव की माई-बहिन-मान योजना से पहले मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली में महिलाओं को आर्थिक सहायता देने वाली योजनाओं ने सफलता हासिल की है। इन राज्यों में महिलाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई योजनाओं ने संबंधित राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाया है।