बिहार की चार विधानसभा सीटों तरारी, बेलागंज, इमामगंज और रामगढ़ में उपचुनाव के लिए मतदान खत्म हो गया हैं। सबसे अधिक बेलागंज में 53.4 प्रतिशत, इसके बाद रामगढ़ में 52.40 प्रतिशत तरारी में 50 प्रतिशत और इमामगंज में 49.72 प्रतिशत मतदान हुआ। चारों सीटें विधायकों के सांसद बनने के खाली हुई हैं। इनमें तीन सीटें लालू यादव की पार्टी और एक राजग की है। इन चार सीटों पर कुल 38 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है। इनमें 33 पुरुष और 5 महिला उम्मीदवार हैं।
इन उपचुनावों में से तीन सीटें पहले महागठबंधन के पास थीं, जबकि इमामगंज सीट पर NDA का कब्जा था। बेलागंज, रामगढ़ और तरारी की सीटें खाली हुई थीं क्योंकि इनके विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए थे। इमामगंज की सीट NDA के पास थी, जिसे अब महागठबंधन छीनने की कोशिश करेगा। इस चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी पहली बार चुनावी मैदान में है और उनका मुकाबला महागठबंधन और NDA से होगा।
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रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव:
रामगढ़ सीट पर राजद और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। यह सीट पहले सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। अब यह उपचुनाव हो रहा है और यहां की मिजाज को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या रामगढ़ में इतिहास फिर से दोहराया जाएगा या कुछ नया देखने को मिलेगा। इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी इस सीट को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटी है।
बेलागंज विधानसभा उपचुनाव:
बेलागंज की सीट राजद के पूर्व मंत्री और फिलहाल जहानाबाद के सांसद, सुरेंद्र प्रसाद यादव के सांसद बनने के कारण खाली हुई थी। अब उनके बेटे विश्वनाथ यादव पार्टी का उम्मीदवार है। इस सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को मैदान में उतारा है, जबकि जन सुराज पार्टी ने मो. अमजद को अपना उम्मीदवार बनाया है। यह सीट अब सुरेंद्र प्रसाद यादव और उनके बेटे की प्रतिष्ठा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव बन गई है।
इमामगंज विधानसभा उपचुनाव:
इमामगंज की सीट NDA के हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर (HAM-S) के पास थी, जब जीतन राम मांझी गया से सांसद चुने गए थे। इस सीट पर मांझी की बहू, दीपा मांझी, बिहार सरकार के मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। इसके खिलाफ राजद ने रौशन मांझी को टिकट दिया है, जबकि जन सुराज पार्टी ने जितेंद्र पासवान को उतारा है। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, और महागठबंधन इसे अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगा।
तरारी विधानसभा उपचुनाव:
तरारी की सीट पर भी महागठबंधन अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगा, जबकि NDA अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंकेगा। यह सीट भी लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई थी, और यहां पर कड़ी टक्कर की संभावना है।