- नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए, सरकार ने एक विशेष परीक्षा पास करने का नियम बनाया है।
- परीक्षा में सफल होने पर नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षक बनाया जाएगा और उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाएगा।
- यदि कोई शिक्षक तीन बार में भी परीक्षा पास नहीं करता है, तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
- शिक्षक संघ इस नियम का विरोध कर रहे हैं और इसे गलत बता रहे हैं।
- भाकपा-माले ने भी इस फैसले को गलत बताया है और कहा है कि यह शिक्षकों से बदला लेने की कोशिश है।
- भाकपा-माले सदन में इस मुद्दे को उठाएगी और नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन करेगी।
बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का ऐलान किया है, लेकिन इसके लिए उन्हें एक विशेष परीक्षा पास करनी होगी। यह परीक्षा शिक्षकों की योग्यता और क्षमता का आकलन करने के लिए आयोजित की जाएगी।
परीक्षा में सफल होने वाले शिक्षकों को नियमित शिक्षक बनाया जाएगा और उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाएगा। इसका मतलब है कि उन्हें वेतन, पेंशन, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य सभी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी।
लेकिन, यदि कोई शिक्षक तीन बार में भी परीक्षा पास नहीं करता है, तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। यह नियम शिक्षकों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
शिक्षक संघ इस नियम का विरोध कर रहे हैं और इसे गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह शिक्षकों को डराने-धमकाने का तरीका है। ने कहा कि केके पाठक के इस फरमान पर थूकते हैं। KK पाठक खुद को शिक्षा विभाग का मालिक समझते हैं, लेकिन हमलोग ऐसे फरमान पर थूकते हैं। हम लड़ने को तैयार हैं और मरने को तैयार हैं। सरकार शिक्षकों को तंग कर रही है. शिक्षक भी सरकार को तंग करने के लिए तैयार हैं.
वहीं नियोजित शिक्षकों का इस मुद्दे को लेकर कहना है कि केके पाठक द्वारा लिया गया यह फैसला बिल्कुल गलत है. हम इसका विरोध करते हैं. हम केके पाठक के फरमानों से नहीं डरते.
भाकपा-माले ने भी इस फैसले को गलत बताया है और कहा है कि यह शिक्षकों से बदला लेने की कोशिश है। पार्टी ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए और उन्हें परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
भाकपा-माले सदन में इस मुद्दे को उठाएगी और नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन करेगी।
यह देखना बाकी है कि सरकार शिक्षकों की मांगों पर क्या फैसला लेती है।