नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच की ट्यूनिंग कब कैसे क्या होगी, कहना मुश्किल है। 2014 में प्रशांत, नरेंद्र मोदी के लिए काम कर रहे थे। तो 2015 में नीतीश कुमार के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ पीके ने काम किया। नीतीश कुमार खुद कह चुके हैं कि अमित शाह के कहने पर पार्टी में पीके को लिया था। लेकिन बाद में निकाल भी दिया।
बढ़ती कड़वाहट के बीच आंख का इलाज कराने दिल्ली गए नीतीश कुमार से अचानक प्रशांत किशोर मिल जाते हैं। तो बाद में दोनों एक दूसरे के ए से लेकर जेड तक का अल्फाबेट ज्ञान खोदने लगते हैं। अभी जनता कुछ समझ ही रही थी तब तक सूचना मिली कि दोनों की एक गुप्त मीटिंग हुई। मीटिंग की बात सुनते ही राजनीति के नए रंगों का स्वेटर कई आंखों में बुना जाने लगा। लेकिन अब सबकुछ साफ हो गया है।
नीतीश ने किया खुलासा
प्रशांत किशोर ने 13 सितंबर को अपने ट्विटर से नीतीश कुमार की सरकार को आईना दिखाया। एक ट्वीट किया जिसमें पटना के दियारा इलाके के एक गांव के मुखिया का दर्द झलक रहा था। दूसरी ओर 13 सितंबर को ही प्रशांत किशोर सीएम हाउस में नीतीश कुमार और पवन वर्मा के साथ चाय पर चर्चा कर रहे थे। अब इस मुलाकात के बारे में प्रशांत की ओर से तो कुछ नहीं आया है। लेकिन नीतीश कुमार ने मीडिया को बता दिया कि मिलने आए थे और यह साधारण मुलाकात थी।
गेंद PK के पाले में!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की बैठक सुबह आठ बजे के आसपास हुई है। इस मीटिंग में क्या हुआ, इस पर नीतीश कुमार ने खास नहीं बताया। हालांकि उन्होंने ये जरूर कह दिया कि प्रशांत किशोर से ही पूछ लीजिए। नीतीश के इस बयान का अलग मतलब निकाला जा रहा है। संभावना है कि दोनों के बीच राजनीतिक बात तो हुई लेकिन मुकाम तक नहीं पहुंची। क्योंकि इस मुलाकात के बारे में दोनों खेमों की ओर से पूरी चुप्पी रखी गई थी। हालांकि बात खुलने के बाद खंडन तो किसी ने नहीं किया लेकिन प्रशांत की ओर से स्वीकार भी नहीं किया गया। लेकिन सीएम नीतीश ने अपनी ओर से मीटिंग की बात पर मुहर लगाने के बाद अब आगे क्या करना है, इसकी गेंद प्रशांत किशोर के पाले में आ गई है।
नहीं बनी बात?
वैसे तो नीतीश ने मीडिया कहा कि पवन वर्मा मिलना चाहते थे। पवन वर्मा ही प्रशांत किशोर को लेकर आए। लेकिन क्या प्रशांत किशोर फिर साथ दिखेंगे वाले सवाल पर नीतीश ने कहा कि हम आप लोगों से कहेंगे कि उन्हीं से बात कर लीजिए कि वे क्या चाहते हैं। मैंने अपनी ओर से ऐसी कोई बात उनके सामने नहीं रखी है। वे मिलना चाहते थे इसलिए मुलाकात हुई। दूसरी ओर ऐसा लग रहा है कि प्रशांत किशोर को भी नीतीश से मुलाकात के बाद कुछ हासिल नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने अपना अभियान जारी रखा, खास ट्वीट के जरिए।