बीते दिन को तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने एक बड़ी रैली की थी। जो तेलंगाना खम्मम में हुई थी। इस रैली में विपक्षी पार्टी के कई नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित नहीं किया गया था। इसे लेकर अब नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने साफ कहा कि यदि उन्हें आमंत्रित किया भी जाता तो वो नहीं जा पाते। दरअसल केसीआर रैली को मिशन 2024 से जोड़ कर देखा गया। कहीं ना कहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर गैर कांग्रेसी गठबंधन यानी थर्ड फ्रंट बनने की तैयारी में हैं। बता दें कि इस रैली में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित लेफ्ट के कई नेता भी शामिल हुए थे।
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थर्ड फ्रंट में शामिल होंगे नीतीश?
दरअसल आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केसीआर द्वारा निमंत्रण ना दिए जाने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि कोई अपनी पार्टी की रैली कर रहा तो ये अच्छी बात है। जिन लोगों को बुलाया गया वे लोग गए होंगे। सभी जान रहे ही हम अभी दूसरे काम में व्यस्त हैं। इस बीच में हमलोग कहीं चाहे भी तो नहीं जा सकते हैं। वहीं जब उनसे पूछा गया कि यदि केसीआर थर्ड फ्रंट बनाएंगे तो वो उसमें शामिल होंगे या कांग्रेस के साथ ही रहेंगे? इसका जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि ये अलग बात है अभी मुझे बिहार का काम करना है, उसके बाद ही इस बात को देखेंगे कि आगे क्या होगा कितने लोग एकजुट होंगे। वही देश दौरे को लेकर उन्होंने अभी बिहार विधानसभा का सत्र है, उसके बाद कोई कहीं बुलाएगा तो जरुर जाएंगे।
कहाँ फंस रहा पेंच
बड़ी बात ये हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने एकजुट विपक्ष होगा या फिर एक थर्ड फ्रंट भी बनेगा। इसे लेकर विपक्षी पार्टियों में पेंच फंसता दिख रहा है। जिसकी झलक नीतीश कुमार और केसीआर की बीच बढ़ रही दूरियों के रूप में देखने को मिल रहा है। केसीआर कुछ समय पहले खुद बिहार आए थे और नीतीश कुमार से मुलाकात की थी तबतक ऐसा लग रहा था कि ये साथ होकर विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास करते दिखेंगे। लेकिन अब अपनी रैली जिसमें केसीआर ने कई विपक्षी नेताओं को बुलाया पर नीतीश कुमार से किनारा किया।
अब प्रश्न ये है कि आखिर नीतीश कुमार और केसीआर के बीच पेंच फंस कहां रहा है। जानकारों की माने तो इसमें सबसे बड़ी वजह कांग्रेस है। एक ओर नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ है और वो सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर मुख्य विपक्ष तैयार करने के पक्ष में हैं जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। वही केसीआर की कांग्रेस से पुरानी बगावत है। अपने राज्य में ही उनकी कांग्रेस से बिलकुल भी नहीं पटती है। उनकी मंशा से साफ है कि वो कांग्रेस रहित विपक्ष बनने की तैयारी में हैं।