पटना विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव प्रो. विभाष रंजन ने पुटा अध्यक्ष प्रो. अभय कुमार के द्वारा कुछ अखबारों में दिए गए बयान पर स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि 6 नवंबर को संपन्न हुई पुटा कार्यकारिणी समिति की बैठक की शुरुआत उनकी अध्यक्षता में हुई थी। डॉ. विभाष रंजन ने कहा कि महासचिव होने के कारण मीटिंग में लिए गए निर्णय को बिना किसी हस्तक्षेप के प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सभी को जानकारी देना उनका दायित्व है। पुटा की नियमावली के तहत अध्यक्ष, महासचिव या किसी भी अन्य को “वीटो पावर” नहीं है। कोई भी निर्णय बहुमत से पारित होता है।
प्रो. अभय कुमार के बयान पर खेद प्रकट करते हुए महाससिव ने कहा कि अध्यक्ष खुद पीयू पुस्तकालय के डायरेक्टर हैं और इस प्रकार से वह खुद पीयू प्रशासन का हिस्सा हैं। इस कारण से वो पुटा उपाध्यक्ष प्रो. शिव सागर प्रसाद के गंभीर एवं संवेदनशील मामले को दूसरी प्रस्तुति देना चाह रहे हैं। पुटा महासचिव ने जानकारी दी की पुटा के इतिहास में यह एक दुखद क्षण है जब पुटा अध्यक्ष (जो की खुद भी एक प्रशासनिक पदाधिकारी हैं) डीएसडब्ल्यू, प्रो. अनिल कुमार को किसी भी हाल में पद पर बनाए रखने के लिए महासचिव एवं वरीय उपाध्यक्ष पर आधारहीन, तथ्यहीन एवं मनगढ़ंत दोषारोपण कर मिथ्या भ्रांति फैला रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय है। उनको यह समझना चाहिए कि संघ में बहुमत का निर्णय ही पारित होता है। उसका सम्मान होना चाहिए। जरूरत पड़ने पर शिक्षकों को सम्मानपूर्वक न्याय दिलाने के लिए हर दरवाजा खटखटाएंगे।
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