बिहार सरकार ने बाल श्रम की कुरीति को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में एक कठोर रुख अपनाया है। राज्य के श्रम संसाधन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है। ईंट भट्टों से लेकर घरेलू कामकाज तक, बच्चों के शोषण की हर रूप को खत्म करने का संकल्प लिया गया है।
विभाग के निर्देशानुसार, सभी जिलों में विशेष दस्ते गठित किए जा रहे हैं। इन दस्तों का मुख्य उद्देश्य ईंट भट्टों पर छापेमारी कर बच्चों को मुक्त कराना है। इसके अलावा, आवासीय क्षेत्रों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। अपार्टमेंट्स और घरों में बाल श्रम के संभावित मामलों की गहन जांच की जाएगी।
बाल श्रम के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत, दोषियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। ऐसे लोग जो बच्चों का शोषण करते पाए जाते हैं, उनके खिलाफ 20 से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना या 6 महीने से 2 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है। सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई अटल होगी।
बाल श्रम की जड़ें उखाड़ने के लिए जन जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। रेडियो, टेलीविजन और अन्य माध्यमों के जरिए लोगों को इस समस्या के बारे में शिक्षित किया जाएगा। पंचायत स्तर पर भी ग्राम प्रधानों और अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम किया जाएगा। हर तीन महीने में समीक्षा बैठक आयोजित कर प्रगति का जायजा लिया जाएगा।
यह अभियान बाल अधिकारों की रक्षा और बच्चों के उज्जवल भविष्य के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का प्रयास है कि बिहार को बाल श्रम मुक्त राज्य बनाया जाए। हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है।