[Team insider] झारखंड की राजनीति के लिए 11 जनवरी का दिन से बहुत खास है। क्योंकि आज ही के दिन राज्य के दो दिग्गज राजनेता और पूर्व मुख्यमंत्रियों का जन्मदिन है। उनमें से एक राज्यसभा सांसद और जेएमएम के अध्यक्ष शिबू सोरेन तो दूसरे हैं बीजेपी विधायक और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी। शिबू सोरेन अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं तो वहीं, बाबूलाल मरांडी 63वां जन्मदिन मना रहे हैं। झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन और भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन एक ही दिन होने के कारण दोनों नेताओं की चर्चा एकसाथ होती है। राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण दोनों नेता इस बार सादे तरीके से घर पर ही रहकर जन्मदिन मनाएंगे।
राज्य के पुरोधा के रूप में जाने जाते हैं शिबू सोरेन
दिशोम गुरु यानि शिबू सोरेन झारखंड राज्य के पुरोधा के रूप में जाने जाते हैं जिसके जिक्र के बिना झारखंड की चर्चा पूरी नहीं हो सकती है। उनका जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में 11 जनवरी 1944 को हुआ। उन्होंने ने दसवीं तक पढ़ाई की। शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ बिगुल फूंक कर राजनीति में आए। बता दें कि शिबू सोरेन को आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में जाना जाता है।
पहला विधानसभा चुनाव टुंडी से लड़े लेकिन हार गए
शिबू सोरेन 1977 में राजनीति में प्रवेश किया और टुंडी से पहला विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 1980 में उन्होंने दुमका से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहले सांसद बने। वो यहां से 8 बार सांसद रहे। 2002 और 2020 में वे दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। यूपीए सरकार में 23 मई 2004 को शिबू सोरेन कोयल और खनन मंत्री बनाए गए थे।
तीन बार बने झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री
शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री का पद भी संभाला लेकिन कभी भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। विधानसभा चुनाव 2005 में राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्योता भेजा। 2 मार्च 2005 को वे सीएम बनाए गए लेकिन जरूरी विधायकों की संख्या नहीं हासिल करने पर 10 दिन बाद ही 12 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सांसद रहते हुए शिबू सोरेन 27 अगस्त 2008 को दोबारा सीएम की गद्दी पर बैठे। लेकिन सरकार बनने के बाद भी एक परीक्षा बाकी थी।
झटका तब लगा जब वे 8 जनवरी को तमाड़ विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव हार गए। नतीजतन 144 दिनों बाद 18 जनवरी 2009 को सरकार गिर गई और झारखंड में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा। शिबू सोरेन को तीसरी बार सीएम बनने का मौका 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 तक 152 दिनों के लिए मिला। तब बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।
कई बार सांसद व विधायक रह चुके हैं बाबूलाल मरांडी
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी मंगलवार को 63वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 11 जनवरी 1958 को गिरिडीह जिले के कोडिया बैंक गांव में हुआ था। वर्तमान में बाबूलाल मरांडी झारखंड भाजपा के विधायक दल के नेता हैं। कई बार सांसद व विधायक रह चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री रहे। बाबूलाल मरांडी विश्व हिंदू परिषद के आयोजन सचिव के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 1983 में दुमका चले जाने के बाद बाबूलाल मरांडी ने अपनी शुरूआती जीवन आरएसएस मुख्यालय में व्यतीत किया। 2007 में हुए एक नक्सल हमले में बाबूलाल मरांडी के एक बेटे की मृत्यु हो गई थी।
बाबूलाल मरांडी 2000 में बने झारखंड के पहले मुख्यमंत्री
बाबूलाल मरांडी बिहार से अलग होने पर 2000 में बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने। 2003 में पार्टी में विरोध के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। 2006 में उन्होंने बीजेपी छोड़कर अपनी झारखंड विकास मोर्चा नाम से पार्टी बना ली। 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा ने चुनाव लड़ा। 2009 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बाबूलाल की पार्टी जेवीएम ने चुनाव लड़ा। फरवरी 2020 उन्होने अपनी पार्टी जेवीएम का बीजेपी में विलय कर दिया और बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए।