बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 6 नवंबर से शुरू होने वाली है। इस सत्र में जातीय गणना के मुद्दे पर सदन में हंगामा होने के पूरे आसार हैं। भाजपा की तरफ से ये सकते दे दिये गए हैं कि वो इस मुद्दे बिहार सरकार को घेरेगी। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बिहार सरकार से बड़ी मांग की है। उन्होने कहा कि विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में सरकार को जातीय सर्वे की पंचायत-वार रिपोर्ट और इस सर्वे के आधार पर तैयार होने वाले विकास मॉडल का प्रारूप सदन के पटल पर रखना चाहिए।
सुशील मोदी की मांग
सुशील मोदी ने मांग की है कि बिहार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के लिए जो डेडीकेटेड अतिपिछड़ा आयोग गठित किया था। उसकी रिपोर्ट विधान मंडल में पेश किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना का श्रेय लूटने में लगे राजद-जदयू को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सकारात्मक वक्तव्य से तीखी मिर्ची लग रही है। वे भाजपा की छवि बिगाड़ने के लिए केंद्र की प्रतिकूल टिप्पणी की उम्मीद कर रहे थे।
क्रेडिट की लड़ाई
जातीय गणना को लेकर बिहार में क्रेडिट की लड़ाई भी चल रही है। इसमें भाजपा भी पीछे नहीं है। सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार में जातीय सर्वे कराने का निर्णय उस एनडीए सरकार का था, जिसमें भाजपा के 14 मंत्री थे। उस समय राजद सरकार में नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार आज उस कांग्रेस के साथ हैं, जिसने कई दशकों तक केंद्र और राज्यों की सत्ता में रहने के बाद भी न जातीय जनगणना करायी, न पिछड़ों को आरक्षण दिया।