झारखंड में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने और उसे गुणवत्तापरक बनाने सरकार और शिक्षा मंत्री बड़े बड़े दावा करती है लेकिन लेकिन सच्चाई इससे परे है, झारखंड में स्कूली शिक्षा व्यवस्था बदहाल है। दरअसल परिक्षा देने आये छात्रों को ना तो प्रश्न पत्र मिल रहा है और ना ही उत्तर पुस्तिका छात्र खुद से 10 -10 रुपये में टेस्ट कॉपी खरीदकर स्कूल में परीक्षा देने आ रहे हैं। इससे आप खुद ही समझ सकतें हैं कि शिक्षा व्यवस्था का स्तर क्या है।
टेस्ट कॉपी ला कर लिख रहे हैं उत्तर
बता दें कि झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) के द्वारा पहली बार जिले के 1531 विद्यालयों के साथ राज्य के 35441 सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन से आठवीं तक के बच्चों से एफए-वन की परीक्षा 21 नवंबर से ली जा रही है, जो 26 नवंबर तक चलेगी। जिसमे पांचवी तक आज यानी 24 नवंबर तक है। लेकिन इस परीक्षा के लिए जेसीईआरटी की ओर से ना तो प्रश्न पत्र भेजा गया और ना ही उत्तर पुस्तिका परीक्षा के लिए स्कूल के शिक्षक ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न लिख या फिर पीडीएफ की कॉपी निकाल छात्रों को दें रहे है। जिसकी संख्या भी कम है और छात्र उसको देखकर अपने कॉपी के पन्ने फाड़कर सफेद कागज या फिर टेस्ट कॉपी खुद से ला कर उत्तर लिख रहे हैं। इसकी वजह से शिक्षकों को जितनी परेशानी हो रही है, उससे ज्यादा छात्र परेशान हैं।
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व्हाट्सएप पर भेजा जा रहा है प्रश्न
बोकारो के चास स्थित मध्य विद्यालय चास-वन में भी इसी तरह परीक्षा लिया जा रहा है। छात्र और शिक्षक भी इस बात की पुष्टि करते हुए अपनी बातों को रखने का काम किया। जेसीईआरटी की ओर से हर दिन की परीक्षा के लिए प्रश्न-पत्र का सेट सभी जिले के टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज को भेज दिया गया है। जिस दिन जिस विषय की परीक्षा होती है। उस दिन ट्रेनिंग कॉलेज से प्रश्न को स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को व्हाट्सएप पर भेजा जा रहा है। उसके बाद परीक्षा शुरू हो रही है।
कोई बच्चा छोटे पन्ने पर तो कोई बच्चा बड़े पन्ने पर उसका उत्तर लिखकर स्कूल में जमा करता है। साल में दो बार बच्चों से एफए वन और एफए ट्र की परीक्षा ली जाती है। उसके बाद अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा होती है। सभी परीक्षाओं का अंक परीक्षा परिणाम में जुड़ता है। इसके बावजूद विभाग की ओर से परीक्षा के लिए जरूरी व्यवस्था नहीं की गई।