बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के गैर जिम्मेदार आचरण के कारण एक छात्रा का दो वर्ष खराब हो गया हो गया। जिस छात्रा को मैट्रिक के संस्कृत विषय में 77 अंक आए थे, उसे 3 अंक देकर फेल कर दिया गया। अब बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारियों के गैर जिम्मेदाराना कृत्य को देखते हुए पटना हाई कोर्ट ने उस छात्रा को मुआवजा देने का आदेश दिया है। पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्दालय परीक्षा समिति को आदेश दिया है कि वह छात्र को दो लाख रुपए का मुआवजा दे। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने मनोज कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। आदेश में यह भी कहा गया है कि मुकदमा में खर्च 25 हजार भी दिया जाए। मुआवजा राशि भुगतान एक माह के भीतर करना होगा।
संस्कृत विषय में 77 के बजाय दिए 3 अंक
आवेदक की पुत्री ने वर्ष 2017 में मैट्रिक की परीक्षा दी थी। परीक्षा में उसे संस्कृत विषय में फेल दिखाया गया। जिससे छात्रा सदमे आकर पढ़ाई छोड़ दी। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में करीब डेढ़ साल बाद बताया गया कि उसे संस्कृत में 77 अंक प्राप्त हुए हैं। बोर्ड के वकील ने माना कि संस्कृत में 77 अंक के बजाय 3 अंक दिए गए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारियों का यह गैर जिम्मेदाराना कृत्य है। कोर्ट के अनुसार प्रथम श्रेणी से पास छात्रा को फेल दिखाये जाने से उसने दो शैक्षणिक वर्ष खो दिए, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। कोर्ट ने बोर्ड को मामले की जांच कर दोषी अधिकारी से राशि वसूलने की छूट दी है।