बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव डरे हुए हैं। उन्हें आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। आशंका यह भी है कि उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। तेजस्वी का कहना है कि लैंड फॉर जॉब स्कैम में उनके खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। अभी तक उनका नाम इस चार्जशीट में नहीं है। तेजस्वी यादव ने आशंका जाहिर की है कि विपक्षी दलों की आगामी बैठक 23 जून को है। इसमें व्यवधान डालने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। तेजस्वी यादव का यह डर खुलकर तब सामने आया है जब तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी हुई है। तो अब सवाल यह उठता है कि ‘डरे’ तेजस्वी के डर को दूर करने के लिए उन्हें सीएम बनाने को बेताब सीएम नीतीश कुमार क्या करेंगे? नीतीश क्या डर को खत्म करने के लिए वो हथियार उठाएंगे, जिसका इस्तेमाल एम के स्टालिन ने किया है? या फिर एक बार फिर नीतीश कुमार 2017 वाला खेला कर जाएंगे? 2017 में तेजस्वी पर आरोपों को आधार बनाकर ही नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन तोड़ा था।
बिहार में ‘पॉलिटिकल डर’ का माहौल, सबको डरने की जल्दी
स्टालिन सरकार का बड़ा निर्णय
दरअसल, तमिलनाडु के बिजली मंत्री और डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में आ गए हैं। केंद्र सरकार पर पहले से कुछ राज्य सरकार केंद्रीय एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते हैं। अब एक बार फिर यही कोशिश शुरू हो गई है। लेकिन स्टालिन सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है, जिसमें अब सीबीआई को राज्य में किसी प्रकार की जांच के पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी।
बिहार में ऐसा फैसला लेंगे नीतीश?
अब सवाल ये उठता है कि क्या नीतीश कुमार अपने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बचाने के लिए सीबीआई के साथ दूसरी केंद्रीय एजेंसियों को बिहार में रोकेंगे? यह मांग राजद की तो पहले से रही है। क्योंकि लैंड फॉर जॉब हो या कोई दूसरा स्कैम, राजद सभी को केंद्र सरकार की साजिश बताता रहा है। अगर तेजस्वी यादव पर शिकंजा कसता है तो राजद की ओर से नीतीश सरकार पर यह दबाव बढ़ेगा कि वे सीबीआई और दूसरी जांच एजेंसियों को बैन करें। लेकिन नीतीश कुमार ऐसे फैसलों पर अलग तरह से रिएक्ट करते रहे हैं। अब तक वे बैन के पक्ष में कभी नहीं दिखे हैं।
नौ राज्यों में बैन है CBI
तमिलनाडु पहला राज्य नहीं है, जहां सीबीआई के एक्सेस को सीमित किया गया है। सबसे पहले 2015 में मिजोरम की तत्कालीन सरकार ने सीबीआई की एंट्री को अपने राज्य में लिमिटेड किया। इसके बाद एक एक कर 8 राज्यों ने अपने यहां सीबीआई की एंट्री को लिमिटेड कर दिया। इनमें पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, केरल, मिजोरम, पंजाब, तेलंगाना, छतीसगढ़ शामिल है। अब तमिलनाडु के शामिल होने के बाद ऐसे राज्यों की संख्या नौ हो गई है। दबाव ये है कि बिहार 10वां राज्य बन जाए। लेकिन इसका फैसला सिर्फ नीतीश कुमार करेंगे क्योंकि सीएम होने के साथ होम डिपार्टमेंट के मंत्री भी वे ही हैं।